पटना.
बिहार के वैशाली जिले के सब्जी उत्पादक किसान सुनील कुमार ने इस वर्ष अपने
परिवार के साथ न केवल होली धूमधाम से खेली, बल्कि अपने दो छोटे-छोटे
बच्चों और बूढ़ी मां के लिए नए कपड़े भी खरीदे। राज्य में केवल सुनील ही ऐसे
नहीं थे जिन्होंने अपने परिवार के साथ होली की खुशियां बांटी, बल्कि ऐसे कई
सब्जी उत्पादक थे जिन्होंने उपज में वृद्धि से खुश होकर पूरे मन से होली
मनाई।
औरंगाबाद जिले के देव निवासी विजय मांझी ने भी इस वर्ष होली का जमकर लुत्फ
उठाया। विजय कहते हैं कि पहले होली पैसे के अभाव में किसी तरह गुजर जाती थी
परंतु इस वर्ष न केवल कपड़े खरीदे, बल्कि घर में पकवान भी बना।
फलों और सब्जियों के उत्पादन में हो रही लगातार वृद्धि
बिहार में फलों और सब्जियों के उत्पादन में हो रही लगातार वृद्धि से न केवल
बिहार के किसान खुश हैं, बल्कि वैज्ञानिक भी इसे बिहार के लिए शुभ संकेत
मान रहे हैं। वैज्ञनिकों का मानना है कि उत्पादन को संरक्षित करने की
सुविधा यदि किसानों को मिल जाए तो उनकी आय भी बढ़ सकेगी और वे खुशहाल
जिंदगी जी सकेंगे। बिहार में फलों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है।
देश में लीची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार पहले से ही था, लेकिन अब आम
के मामले में भी यह देश का चौथा बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है। बिहार
विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010-11 में
296.42 हजार हेक्टेयर भूमि में फलों का 3912 हजार टन उत्पादन हुआ। इस
उत्पादन में आम के उत्पादन का प्रतिशत 34.12 फीसदी रहा।
आंकड़ों के अनुसार देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 74
प्रतिशत है। वर्ष 2009-10 में राज्य में कुल 215 टन लीची का उत्पादन हुआ
था। केवल फलों के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सब्जियों के उत्पादन में भी
बिहार में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2006-07
में राज्य में जहां 8.24 लाख हेक्टेयर में सब्जी का उत्पादन किया गया था,
वहीं वर्ष 2009-10 में यह बढ़कर 8.45 लाख हेक्टेयर हो गया। वर्ष 2009-10
में राज्य में जहां करीब 58 लाख टन आलू का उत्पादन किया गया, वहीं 11 लाख
टन प्याज का उत्पादन किया गया है। यही नहीं कृषि के क्षेत्र में उत्पदकता
भी बढ़ी है, जिस कारण सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। आलू की
उत्पादकता वर्ष 2008-09 में जहां 17,180 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, वह
बढ़कर वर्ष 2009-10 में 18,410 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई जबकि वर्ष
2008-09 में प्याज की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 19210 किलोग्राम थी जो
बढ़कर वर्ष 2009-10 में अब बढ़कर 20317 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।
यही स्थिति फूलगोभी और बैंगन जैसी सब्जियों को लेकर भी है।
राज्य में लोग हो रहे हैं कृषिकी ओर उन्मुख
समस्तीपुर के पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डां.
मृत्युंजय कहते हैं कि सब्जी और फल के उत्पादन में वृद्धि का कारण न केवल
फलों और सब्जियों के उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़ना है, बल्कि तकनीक भी है। वह
कहते हैं कि राज्य में लोग अब कृषि की ओर उन्मुख हो रहे हैं। इस कारण इसे
लोग अपना व्यवसाय मानकर तकनीक का सहारा ले रहे हैं। वह कहते हैं कि इस
क्षेत्र में प्रतिदिन तकनीक का विकास हो रहा है जिसे कृषक अपना रहे हैं और
उनकी उत्पादकता बढ़ रही है। वह यह भी कहते हैं कि अभी भी यहां उत्पादन के
बाद उसके संरक्षण का अभाव है। संरक्षण नहीं करने की स्थिति में किसान
औने-पौने दाम में अपने उत्पाद को बेच रहे हैं जिस कारण जितना फायदा किसानों
को होना चाहिए था, उतना नहीं हो रहा है। फिर भी स्थितियां बदल रही हैं
जिससे किसानों की उम्मीदें बढ़ी हैं।
बिहार के वैशाली जिले के सब्जी उत्पादक किसान सुनील कुमार ने इस वर्ष अपने
परिवार के साथ न केवल होली धूमधाम से खेली, बल्कि अपने दो छोटे-छोटे
बच्चों और बूढ़ी मां के लिए नए कपड़े भी खरीदे। राज्य में केवल सुनील ही ऐसे
नहीं थे जिन्होंने अपने परिवार के साथ होली की खुशियां बांटी, बल्कि ऐसे कई
सब्जी उत्पादक थे जिन्होंने उपज में वृद्धि से खुश होकर पूरे मन से होली
मनाई।
औरंगाबाद जिले के देव निवासी विजय मांझी ने भी इस वर्ष होली का जमकर लुत्फ
उठाया। विजय कहते हैं कि पहले होली पैसे के अभाव में किसी तरह गुजर जाती थी
परंतु इस वर्ष न केवल कपड़े खरीदे, बल्कि घर में पकवान भी बना।
फलों और सब्जियों के उत्पादन में हो रही लगातार वृद्धि
बिहार में फलों और सब्जियों के उत्पादन में हो रही लगातार वृद्धि से न केवल
बिहार के किसान खुश हैं, बल्कि वैज्ञानिक भी इसे बिहार के लिए शुभ संकेत
मान रहे हैं। वैज्ञनिकों का मानना है कि उत्पादन को संरक्षित करने की
सुविधा यदि किसानों को मिल जाए तो उनकी आय भी बढ़ सकेगी और वे खुशहाल
जिंदगी जी सकेंगे। बिहार में फलों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है।
देश में लीची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार पहले से ही था, लेकिन अब आम
के मामले में भी यह देश का चौथा बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है। बिहार
विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010-11 में
296.42 हजार हेक्टेयर भूमि में फलों का 3912 हजार टन उत्पादन हुआ। इस
उत्पादन में आम के उत्पादन का प्रतिशत 34.12 फीसदी रहा।
आंकड़ों के अनुसार देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 74
प्रतिशत है। वर्ष 2009-10 में राज्य में कुल 215 टन लीची का उत्पादन हुआ
था। केवल फलों के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सब्जियों के उत्पादन में भी
बिहार में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2006-07
में राज्य में जहां 8.24 लाख हेक्टेयर में सब्जी का उत्पादन किया गया था,
वहीं वर्ष 2009-10 में यह बढ़कर 8.45 लाख हेक्टेयर हो गया। वर्ष 2009-10
में राज्य में जहां करीब 58 लाख टन आलू का उत्पादन किया गया, वहीं 11 लाख
टन प्याज का उत्पादन किया गया है। यही नहीं कृषि के क्षेत्र में उत्पदकता
भी बढ़ी है, जिस कारण सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। आलू की
उत्पादकता वर्ष 2008-09 में जहां 17,180 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, वह
बढ़कर वर्ष 2009-10 में 18,410 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई जबकि वर्ष
2008-09 में प्याज की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 19210 किलोग्राम थी जो
बढ़कर वर्ष 2009-10 में अब बढ़कर 20317 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।
यही स्थिति फूलगोभी और बैंगन जैसी सब्जियों को लेकर भी है।
राज्य में लोग हो रहे हैं कृषिकी ओर उन्मुख
समस्तीपुर के पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डां.
मृत्युंजय कहते हैं कि सब्जी और फल के उत्पादन में वृद्धि का कारण न केवल
फलों और सब्जियों के उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़ना है, बल्कि तकनीक भी है। वह
कहते हैं कि राज्य में लोग अब कृषि की ओर उन्मुख हो रहे हैं। इस कारण इसे
लोग अपना व्यवसाय मानकर तकनीक का सहारा ले रहे हैं। वह कहते हैं कि इस
क्षेत्र में प्रतिदिन तकनीक का विकास हो रहा है जिसे कृषक अपना रहे हैं और
उनकी उत्पादकता बढ़ रही है। वह यह भी कहते हैं कि अभी भी यहां उत्पादन के
बाद उसके संरक्षण का अभाव है। संरक्षण नहीं करने की स्थिति में किसान
औने-पौने दाम में अपने उत्पाद को बेच रहे हैं जिस कारण जितना फायदा किसानों
को होना चाहिए था, उतना नहीं हो रहा है। फिर भी स्थितियां बदल रही हैं
जिससे किसानों की उम्मीदें बढ़ी हैं।