रांची : झारखंड काजू के वृक्षारोपण में देश में टॉप टेन में पहुंच गया
है. पहले राज्य का कहीं कोई स्थान नहीं था. राज्य गठन के बाद करीब 13 हजार
हेक्टेयर में काजू की खेती करायी जा रही है. तीन साल के अंदर इससे तैयार
काजू भी निकलने लगेगा. इससे आज करीब सात हजार किसान जुड़े हुए हैं.
सभी किसान अपनी वर्षो से परती पड़ी जमीन पर खेती कर रहे हैं. एक साल
पहले 10 हजार हेक्टेयर में खेती लगायी गयी है. राज्य सरकार ने राज्य उद्यान
मिशन के सहयोग से मुख्य रूप से पूर्वी-पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला, पाकुड़,
दुमका, देवघर, जामताड़ा आदि जिलों में खेती करायी है.
– नर्सरी भी तैयार की जायेगी –
राज्य उद्यान मिशन केंद्र सरकार के सहयोग से नर्सरी भी लगा रहा है. अभी
राज्य में पौधे की उपलब्धता भारत सरकार के काजू बोर्ड द्वारा करायी जा रही
है. राज्य सरकार चाहती है कि चाइबासा-चाकुलिया में नर्सरी तैयार किया जाये.
इधर, प.सिंहभूम तथा पाकुड़ में जल्द ही एक नर्सरी लगायी जायेगी.
– दो प्रोसेसिंग प्लांट भी लगा –
राज्य सरकार के सहयोग से बहरागोड़ा तथा चाकुलिया में दो प्रोसेसिंग
प्लांट लगाया गया है. इसमें काजू की प्रोसेसिंग कर बेची जा रही है. राज्य
सरकार काजू के प्रोसेसिंग प्लांट के लिए 55 फीसदी सब्सिडी भी दे रही है.
प्लांट के उत्पाद की मांग भी अच्छी है. प्रोसेसिंग प्लांट क्षमता के हिसाब
से पांच से 15 लाख रुपये में उपलब्ध है.
– कोट –
पहले किसान 10-20 रुपये में काजू का बिना प्रोसेस किया हुआ माल बेच रहे
थे. प्रोसेसिंग प्लांट लग जाने से इसकी कीमत 50-60 रुपये हो गयी है. किसान
भी खुश हैं. वे खुद अपनी परती जमीन पर पौधा लगवाने के लिए आ रहे हैं. टॉप
टेन में आना राज्य सरकार के लिए एक उपलब्धि है. – डॉ प्रभाकर सिंह निदेशक,
एनएचएम झारखंड
– मनोज सिंह –