भागलपुर : अब वह दिन दूर नहीं जब जिले के किसान नागपुर के किसानों की
तरह ही नारंगी की खेती करेंगे. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान-फल
विभाग के वैज्ञानिक नारंगी के पौधों पर पिछले आठ माह से शोध कर रहे हैं.
फिलहाल नागपुर से 156 पौधे लाकर लगाये गये हैं. तीन साल बाद विवि द्वारा
किसानों को नारंगी का पौधा उपलब्ध करा दिया जायेगा. यहां का भी मौसम नारंगी
की खेती के लिए अनुकूल है.
उपयुक्त तापमान
नारंगी की खेती के लिए यहां का तापमान बहुत ही अच्छा
है. नारंगी की खेती के लिए 28 डिग्री व फलन के समय 32 से 36 डिग्री तापमान
चाहिए, जो यहां उपलब्ध है.
जून-जुलाई माह में लगेंगे पौधे
नारंगी की खेती के लिए पौधा लगाने का कार्य जून से जुलाई माह होता है. इस समय किसान अपने खेतों में नारंगी के पौधे लगाते हैं.
साल में दो बार होगा फल
किसान कोई भी फसल साल में एक बार उपजाते हैं,
लेकिन नारंगी की खेती करने पर किसानों साल में दो बार फल तोड़ सकते हैं.
पहला फल फरवरी से मार्च के बीच और दूसरा फल अगस्त से सितंबर माह में तैयार
होता है.
एक पौधे में तीन हजार फल
नारंगी के एक पौधे में तीन हजार फल लगते
हैं. उद्यान-फल विभाग के वैज्ञानिक के अनुसार तीन साल में पौधे में फल लगने
लगता है. पहले साल एक पौधा में 40 फल आता है. पांच साल के बाद एक पौधा में
तीन हजार फल आयेंगे.
मिट्टी भी उपयुक्त
नागपुर की तरह यहां की मिट्टी भी बलुवाही व दोमट
है, जो नारंगी के पौधे के लिए सबसे उपयु है. एक हेक्टेयर में 400 और एक
एकड़ में 160 नारंगी के पौधे लगेंगे. एक पौधे से दूसरे पौधे के दूरी पांच
मीटर होनी चाहिए.
तीन से चार लाख रुपये सलाना फायदा
एक हेक्टेयर में नारंगी की खेती
करने पर किसानों को तीन से चार लाख रुपये की आमदनी हो सकती है. एक हेक्टेयर
में पौधा लगाने से फलन तक में किसानों को एक लाख रुपये तक खर्च करने पड़
सकते हैं.
यहीं तैयार होगा पौधा
उद्यान फल के वैज्ञानिक के अनुसार शोध पूरा
होने पर यहीं नारंगी का पौधा तैयार होगा और सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो तीन साल
के बाद किसानों को पौधे उपलब्ध करादिये जायेंगे. इसके बाद किसान अपनी
सुविधा के अनुसार नारंगी की व्यावसायिक खेती शुरू कर सकते हैं. इससे
किसानों को अपेक्षित लाभ मिल सकता है.
* यहां का मौसम नारंगी की खेती के अनुकूल
* एक हेक्टेयर में लगेंगे 400 पौधे
* 32 से 36 डिग्री सेल्सियस चाहिए तापमान
* कृषि विवि के उद्यान फल विभाग के वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध
* आठ महीना पहले नागपुर से 156 पौधे लाये गये