चुनाव आयोग राईट टू रिकॉल के पक्ष में नहीं

नई दिल्ली। जनप्रतिनिधियों को ‘वापस बुलाने [राईट टू रिकॉल]’ के अधिकार
संबंधी टीम अन्ना की मांग से चुनाव आयोग सहमत नहीं है। आयोग का मानना है कि
निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार मतदाताओं को मिल जाने से
अस्थिरता आएगी। आयोग की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई
है।

टीम अन्ना के साथ बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी सहित अन्य
आयुक्तों ने आयोग की इस मंशा को स्पष्ट कर दिया। पूरे आयोग ने चुनाव
सुधारों पर चर्चा के लिए टीम अन्ना के साथ सोमवार शाम को लंबी बैठक की थी।
बैठक में टीम अन्ना की ओर से शांति भूषण, अरविंद केजरीवाल, प्रशात भूषण,
किरण बेदी और मनीष सिसौदिया शामिल थे।

उक्त बैठक के बारे में चुनाव आयोग ने मंगलवार को आधिकारिक वक्तव्य जारी
किया। जिसमें कहा गया है, ‘वापस बुलाने के अधिकार [राईट टू रिकॉल]’ पर टीम
अन्ना के साथ विस्तार से चर्चा हुई। बैठक के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने
टीम अन्ना से कहा कि जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार जैसे कदम से
अस्थिरता आएगी। चुनाव हारने वाले लोग पहले ही दिन से ‘वापस बुलाने’ के लिए
बाकायदा अभियान शुरू कर देंगे।

टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने बैठक के बाद यह दावा किया
था कि आयोग ने चुनावों के दौरान उम्मीदवारों को ‘खारिज करने का अधिकार’
मतदाताओं को देने के लिए नियमों में बदलाव करने की उनकी मांग स्वीकार कर ली
है। केजरीवाल के इस बयान के बाद ही आयोग की ओर से यह आधिकारिक वक्तव्य
आया।

ध्यान रहे कि गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अगस्त में लोकपाल
मुद्दे पर रामलीला मैदान में अपना अनशन करने के समय चुनाव सुधारों को
मुद्दा उठाया था। उन्होंने घोषणा की थी कि वह जनप्रतिनिधियों को वापस
बुलाने और उन्हें खारिज करने के अधिकार [राईट टू रिजेक्ट] के लिए अगला
आंदोलन करेंगे।

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