रांची : नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की 2010 की रिपोर्ट से यह तथ्य
सामने आया है कि झारखंड पुलिस डकैती या अपराध की योजना बना कर अपराधियों को
जेल भेजने में माहिर है.
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने ऐसे सभी गिरफ्तार लोगों के खिलाफ कोर्ट में
चार्जशीट दाखिल की. पर कोर्ट में पुलिस की झूठ पकड़ी गयी. सिर्फ 9.4
प्रतिशत लोगों के खिलाफ ही सजा के लिए पर्याप्त साक्ष्य पाया गया. इससे
पहले 2009 में पुलिस ने ऐसे 84 प्रतिशत लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
थी. इनमें मात्र 37.9 प्रतिशत लोगों को सजा दिलाने में सफल हुई थी. ये ऐसे
मामले हैं, जिनमें पुलिस आरोपियों को भादवि की धारा 399 और 402 के तहत
अभियुक्त बनाती है.
– अनुसंधान का स्तर खराब –
रांची : रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि झारखंड पुलिस के
अनुसंधान का स्तर और खराब हो गया है. 2009 में झारखंड का कनविक्शन रेट
(दोषी सिद्ध करने की दर) 31 प्रतिशत था. 2010 में घट कर 24.2 प्रतिशत हो
गया. यह स्तर 2005 के कनविक्शन रेट से भी कम है. मतलब पांच सालों में
झारखंड पुलिस के अनुसंधान का स्तर नहीं सुधरा.
रिपोर्ट के मुताबिक आपराधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल करने और
अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में झारखंड पुलिस अपने पड़ोसी राज्यों से
बेहतर स्थिति में है. लेकिन झारखंड के साथ ही अस्तित्व में आये छत्तीसगढ़
की पुलिस से बहुत खराब. छत्तीसगढ़ पुलिस का कनविक्शन रेट 41 प्रतिशत है.
– कोट –
कनविक्शन रेट का कम होना निश्चित रूप से चिंता की बात है. साफ है कि
अनुसंधान में कहीं न कहीं चूक हो रही है. अपराध की योजना बनाने हुए
गिरफ्तार लोगों को सजा दिलाने की दर की कमी और गंभीर बात है. विभाग के वरीय
अधिकारियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. – आरआर प्रसाद, पूर्व
डीजीपी.
– सुरजीत सिंह –