जमीन संकट से उद्यमी पस्त मुकाम को तरस रहे उद्योग

सूबे में जमीन की समस्या से नए उद्यमी पस्त हैं। खासकर छोटे एवं नए
उद्योगों को मुकाम हासिल करने के लिए मशक्कत करना पर रहा है। बड़े निवेशक
से लेकर छोटे उद्यमी तक उद्योग विभाग, निदेशालय और क्षेत्रीय प्राधिकार
कार्यालय में जमीन के लिए  वर्षो से अर्जी लगाकर चक्कर काटने को मजबूर हैं।
रांची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (रियाडा) में दो दजर्न से ज्यादा
उद्यमियों का जमीन के लिए आवेदन एक साल से लम्बित है।
पीसीसी का फेर
लघु और मध्यम श्रेणी के उद्यमियों का आवेदन प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमिटी
(पीसीसी) के फेर में फंसा है। अपनी अर्जी की प्रगति जानने वाले उद्यमियों
को पीसीसी की बैठक में आवेदन प्रस्तावित होने की बात कह लौटा दिया जाता है।
इधर, हालात यह है कि पिछले एक साल से पीसीसी की बैठक नहीं हुई है।
13 सितम्बर से है लम्बित
नियमानुसार हर माह होने वाली पीसीसी की बैठक गत वर्ष 13 सितम्बर के बाद
लम्बित है। माह के अंतिम सप्ताह में होने वाली पीसीसी की बैठक में
उद्यमियों द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर विचार किया जाता था। फिलहाल रियाडा
में 25 आवेदन पर एक साल से विचार के लिए अटका है।
जमीन का बहाना
रियाडा का कहना है कि उसके पास वर्तमान औद्योगिक क्षेत्र में जमीन ही नहीं
है। ऐसे में उद्यमियों को कहां से जमीन उपलब्ध कराया जाए। ऐसे में पीसीसी
की बैठक का कोई औचित्य नहीं है। वैसे रियाडा के अधिकार क्षेत्र में छह
जिलों में एक दजर्न से ज्यादा औद्योगिक क्षेत्र है।
औद्योगिक क्षेत्र में जमीन की स्थिति
क्षेत्र स्थिति
कोकर उपलब्ध नहीं है
नामकुम उपलब्ध नहीं है
टाटी सिलवे सात प्लॉट खाली है
तुपुदाना चार प्लॉट खाली है
पतरातू एक प्लॉट खाली है
हजारीबाग एक प्लॉट खाली है
लोहरदगा एक प्लॉट खाली है
गुमला एक प्लॉट खाली है
ये हैं पीसीसी सदस्य
रियाडा एमडी, सचिव, विकास अधिकारी, एमएसएमई उप निदेशक, प्रदूषण नियंत्रण
पर्षद के सदस्य, डीआईसी जीएम, बीएसएफसी के सदस्य, फेडरेशन ऑफ झारखंड चेम्बर
ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारी, झारखंड स्माल इंडस्ट्रीज
एसोसिएशन के पदाधिकारी, एसबीआई एवं बीओआई बैंक के प्रतिनिधि और फैक्ट्री
इंस्पेक्टर पीसीसी सदस्य में शामिल हैं।

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