नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : केंद्र सरकार कुछ शर्तो के साथ चीनी उद्योग
को नियंत्रण मुक्त करने को तैयार हो गई है। कृषि मंत्री शरद पवार के बाद
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने भी चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के
प्रस्ताव पर मंगलवार को अपनी सहमति जता दी। उन्होंने चीनी उद्यमियों से कहा
कि वे कुछ ऐसे उपाय सुझाएं ताकि गरीबों को पूरे साल रियायती चीनी उपलब्ध
हो सके।
थॉमस मंगलवार को यहां नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज की
52वीं सालाना आम सभा में बोल रहे थे। खाद्य मंत्री ने चीनी उद्योग को
नियंत्रण मुक्त करने को लेकर उठ रही आशंकाओं की चर्चा करते हुए कहा कि
लोगों के मन में यह आशंका है कि छूट देने पर जिंस बाजार में चीनी कारोबार
जमाखोरों के हाथ में पहुंच सकता है। इससे चीनी महंगी हो सकती है। लिहाजा इन
आशंकाओं को निर्मूल करने के लिए चीनी उद्योग को खुद ऐसे उपाय सुझाने
होंगे, जिनसे चीनी की कीमतों को बेकाबू होने से रोका जा सके।
चीनी उद्योग को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने को लेकर शरद पवार लगातार
बयानबाजी करते रहे हैं। इसका थॉमस ने कभी समर्थन नहीं किया। यह पहली बार है
जब किसी सार्वजनिक मंच से उन्होंने चीनी उद्योग से नियंत्रण हटा लेने की
बात की है। थॉमस ने साथ में यह भी जोड़ा कि यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री के
ध्यानार्थ भेजा जाएगा।
चीनी उद्यमियों ने नई मिलों की स्थापना के लिए 15 किलोमीटर के दायरे को
बढ़ाकर 40 किलोमीटर करने की मांग की। इसे खाद्य मंत्री ने यह कहकर खारिज कर
दिया कि इसके लिए राज्य सरकारों की सिफारिश जरूरी है। पंजाब और हरियाणा ने
पहले ही इसमें छूट दे दी है। इस नियम में ढील देने से नई चीनी मिलों की
स्थापना में मुश्किलें पेश आएंगी। थॉमस ने एथनॉल उत्पादन को लेकर चीनी
उद्योग को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की
छूट के बाद भी तमाम मिलों ने इथेनॉल का उत्पादन नहीं किया। इससे अब
मुश्किलें आ रही हैं। हालांकि, सरकार ने अब शीरे के बजाय सीधे गन्ने के रस
से इथेनॉल बनाने की अनुमति दे दी है।