भोपाल।
मौजूदा सरकार भले ही प्रदेश में लाडली लक्ष्मियों को पूज रही है, लेकिन
जनगणना के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बच्चियों के मामले में प्रदेश में
हालात अच्छे नहीं है। प्रदेश में 0 से 6 साल के बच्चों में लिंगानुपात में
पिछली जनगणना के मुकाबले 20 अंकों की गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों में तो
यह अनुपात 897 पर पहुंच गया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब शहरों
में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या का अनुपात 900 से कम हुआ है।
मंगलवार को जारी मप्र के 2011 की जनगणना के अंतरिम आंकड़े बताते हैं कि
प्रदेश में लिंगानुपात यानी प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 919
से बढ़कर 930 हो गई है। लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात 932 से घटकर 912
पहुंच गया है। इसमें इंदौर जैसे शुद्ध शहरी मानसिकता वाले नगर निगम क्षेत्र
में भी बच्चों का लिंगानुपात बेहद कम (887) है।
इस मामले में यह केवल ग्वालियर (827) रीवा (846) और सतना (873) से ही बेहतर
है। अभी तक प्रदेश में चंबल क्षेत्र ही कन्या भ्रूण हत्याओं के लिए
कुख्यात रहा है, लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात में पूरे प्रदेश में
कमोबेश समान रूप से कमी हुई है। इसका भविष्य में लिंगानुपात पर असर पड़ना
तय माना जा रहा है।
लिंगानुपात
> प्रदेश का औसत – 930
> राज्य में 0-6 साल के बच्चों का शहरी क्षेत्र का औसत – 897
> इंदौर – 887
> ग्वालियर – 827
> रीवा – 846
> सतना – 873
..और भोपाल शहर
> लिंगानुपात – 911
> 0-6 साल के 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां
साक्षरता
14 शहरों में 11वें स्थान पर
जनसंख्या वृद्धि दर
इंदौर, रीवा, ग्वालियर के बाद चौथे स्थान पर
मौजूदा सरकार भले ही प्रदेश में लाडली लक्ष्मियों को पूज रही है, लेकिन
जनगणना के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बच्चियों के मामले में प्रदेश में
हालात अच्छे नहीं है। प्रदेश में 0 से 6 साल के बच्चों में लिंगानुपात में
पिछली जनगणना के मुकाबले 20 अंकों की गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों में तो
यह अनुपात 897 पर पहुंच गया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब शहरों
में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या का अनुपात 900 से कम हुआ है।
मंगलवार को जारी मप्र के 2011 की जनगणना के अंतरिम आंकड़े बताते हैं कि
प्रदेश में लिंगानुपात यानी प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 919
से बढ़कर 930 हो गई है। लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात 932 से घटकर 912
पहुंच गया है। इसमें इंदौर जैसे शुद्ध शहरी मानसिकता वाले नगर निगम क्षेत्र
में भी बच्चों का लिंगानुपात बेहद कम (887) है।
इस मामले में यह केवल ग्वालियर (827) रीवा (846) और सतना (873) से ही बेहतर
है। अभी तक प्रदेश में चंबल क्षेत्र ही कन्या भ्रूण हत्याओं के लिए
कुख्यात रहा है, लेकिन छोटे बच्चों में लिंगानुपात में पूरे प्रदेश में
कमोबेश समान रूप से कमी हुई है। इसका भविष्य में लिंगानुपात पर असर पड़ना
तय माना जा रहा है।
लिंगानुपात
> प्रदेश का औसत – 930
> राज्य में 0-6 साल के बच्चों का शहरी क्षेत्र का औसत – 897
> इंदौर – 887
> ग्वालियर – 827
> रीवा – 846
> सतना – 873
..और भोपाल शहर
> लिंगानुपात – 911
> 0-6 साल के 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां
साक्षरता
14 शहरों में 11वें स्थान पर
जनसंख्या वृद्धि दर
इंदौर, रीवा, ग्वालियर के बाद चौथे स्थान पर