मुखर्जी ने कहा कि महंगाई और विकास के बीच कोई अंतर्निहित विरोधाभास नहीं है। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विकास की दर पांच फीसदी से मामूली अधिक थी जबकि 1990 के दशक में यह छह फीसदी के करीब थी, जो वर्तमान विकास दर आठ से साढ़े साठ फीसदी की तुलना में कम है, लेकिन क्या उस समय महंगाई की दर कम थी? नहीं।
उन्होंने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है जिसके लिए पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सदस्यों को एक साथ आना होगा। मुखर्जी का यह बयान उस समय आया है जब देश की वार्षिक महंगाई की दर 9.44 फीसदी है और विपक्ष ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि या तो वह महंगाई को कम करे या फिर सत्ता छोड़ दे। महंगाई के मुद्दे पर सदन में बहस की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कल कहा था कि महंगाई को लेकर विपक्ष मुकदर्शक नहीं बना रहेगा।