पटना : राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को गरीबों को भुखमरी से बचाने के लिए
शताब्दी अन्न कलश योजना शुरू करने का निर्णय लिया. जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र
बनाने के पुराने नियमों में संशोधन कर उसे सरल बनाया गया है. नियुक्ति
प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कर्मचारी चयन आयोग नियमावली में संशोधन
किया गया है.
एक माह तक मुफ्त अनाज
बैठक के बाद कैबिनेट सचिव रविकांत ने बताया कि
शताब्दी अन्न कलश योजना के तहत हर पंचायत में एक-एक क्विंटल अनाज का भंडार
रहेगा. भुखमरी के कगार पर पहुंचे लोगों को एक माह तक मुफ्त अनाज दिया
जायेगा. इससे अधिक अवधि तक अनाज देने की जरत होने पर स्थानीय प्रशासनिक
अधिकारी निर्णय लेंगे. इसके लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों की उम्रसीमा में छूट का प्रावधान किया
गया है. पहले तकनीकी सदस्यों को 80 वर्ष की उम्र तक रखने का प्रावधान था.
उसे बढ़ा कर 87 वर्ष तक कर दिया गया है.
बीडीओ देंगे प्रमाणपत्र
जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए लोगों को अब
एसडीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. जन्म-मृत्यु की तिथि से एक माह के
अंदर पंचायत सचिव प्रमाणपत्र देंगे. एक माह से एक वर्ष तक की अवधि में
प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक और उससे अधिक अवधि होने पर बीडीओ उसका निबंधन
कर प्रमाणपत्र जारी करेंगे.
अनुदान के लिए 78 करोड़
225 वित्तरहित डिग्री कॉलेजों में कार्यरत15
हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों के लिए वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए 78
करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी है. माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न
शहरी निकायों में नियोजित 4519 उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियत वेतन भुगतान
के लिए 46.83 करोड़ और 15040 माध्यमिक शिक्षकों के भुगतान के लिए 152.34
करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी है.
38 कार्य प्रमंडल का गठन
मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के संचालन
के लिए स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी
गयी है. इसमें 2042 पद सृजित किये गये हैं. इसमें प्रावधान किया गया है कि
छह विधानसभा क्षेत्रों वाले 19 जिलों में एक-एक कार्य प्रमंडल और इससे अधिक
विधानसभा क्षेत्रों वाले 19 जिलों में दो-दो कार्य प्रमंडल गठित किये
जायेंगे.
राज्य के 12 कन्या आवासीय विद्यालयों में छात्राओं के लिए 40 सीटों की
बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा कैबिनेट ने कर्मचारी चयन
आयोग नियमावली में संशोधन किया है. पहले आयोग में अध्यक्ष के अलावा दो
सदस्य होते थे. अब कार्य की अधिकता को देखते हुए सरकार सदस्यों की संख्या
बढ़ा सकती है. कितने सदस्यों की जरत होगी, उसका आकलन किया जा रहा है. अब
बार-बार नियमावली में संशोधन की जरूरत नहीं होगी.