मुंबई, एजेंसी : महाराष्ट्र के पुणे जिले के निकट पहाडि़यों पर शहर आबाद कर
रहा लवासा कारपोरेशन करोड़ों रुपयों की लागत वाले अपने महत्वाकांक्षी
प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से दो-दो हाथ करने को
तैयार है। कंपनी ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय में दो टूक कहा कि उसकी
परियोजना पूरी तरह से वैध है और वह केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की इस
बारे में किसी भी पूर्व शर्त को स्वीकार नहीं करेगी। ऐसा करना गलती मानने
जैसा होगा,जबकि वहां ऐसा कुछ है ही नहीं।
लवासा के वकील शेखर नाफडे ने कहा, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 27 जून को
लवासा को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि वह परियोजना के संबंध में
विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा सुझायी गयीं पांच शर्तो का अनुपालन करे,
इसके बाद ही मंत्रालय उसे टाउनशिप निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के
बारे में विचार करेगा। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार भी पर्यावरण कानून के
उल्लंघन के तहत लवासा पर कार्रवाई कर चुकी है। कंपनी की निदेशक परिषद ने
प्रस्ताव पारित किया है कि जिसमें ऐसे किसी भी काम को फिर से न स्वीकार
करने का फैसला किया गया है। कंपनी का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में बन
रही टाउनशिप का विकास पर्यटन क्षेत्र नियमों के तहत हो रहा है। निर्माणाधीन
और गैर विकास वाले क्षेत्र का स्पष्ट सीमांकन है। निदेशकों के मुताबिक,
यदि कंपनी केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की निर्माण पूर्व शर्तो को
स्वीकार करती है तो इसका अर्थ होगा कि वह पूर्व में कानून और पर्यावरण के
नियमों का उल्लंघन कर रही थी
रहा लवासा कारपोरेशन करोड़ों रुपयों की लागत वाले अपने महत्वाकांक्षी
प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से दो-दो हाथ करने को
तैयार है। कंपनी ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय में दो टूक कहा कि उसकी
परियोजना पूरी तरह से वैध है और वह केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की इस
बारे में किसी भी पूर्व शर्त को स्वीकार नहीं करेगी। ऐसा करना गलती मानने
जैसा होगा,जबकि वहां ऐसा कुछ है ही नहीं।
लवासा के वकील शेखर नाफडे ने कहा, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 27 जून को
लवासा को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि वह परियोजना के संबंध में
विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा सुझायी गयीं पांच शर्तो का अनुपालन करे,
इसके बाद ही मंत्रालय उसे टाउनशिप निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के
बारे में विचार करेगा। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार भी पर्यावरण कानून के
उल्लंघन के तहत लवासा पर कार्रवाई कर चुकी है। कंपनी की निदेशक परिषद ने
प्रस्ताव पारित किया है कि जिसमें ऐसे किसी भी काम को फिर से न स्वीकार
करने का फैसला किया गया है। कंपनी का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में बन
रही टाउनशिप का विकास पर्यटन क्षेत्र नियमों के तहत हो रहा है। निर्माणाधीन
और गैर विकास वाले क्षेत्र का स्पष्ट सीमांकन है। निदेशकों के मुताबिक,
यदि कंपनी केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की निर्माण पूर्व शर्तो को
स्वीकार करती है तो इसका अर्थ होगा कि वह पूर्व में कानून और पर्यावरण के
नियमों का उल्लंघन कर रही थी