अंबिकापुर [छत्तीसगढ़]। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा मार गिराई गई एक 16
वर्षीय किशोरी के परिवार ने उसके नक्सली होने से इंकार किया है। ग्रामीणों
ने कहा है कि वास्तव में मुठभेड़ नहीं हुई थी और पुलिस ने एक बेगुनाह लड़की
की सहज रूप में हत्या कर दी।
सरगुजा जिले के कारचा गांव के कोई 50 परिवार छह जुलाई से ही सदमे में
है, जब पुलिस ने मीना खालको के हलक में दो गोलियां उतार दी थी। एक घंटे के
अंदर ही उसकी मौत हो गई थी।
घटना से आतंकित लड़की के पिता बुदेश्वर और मां गोतियारो ने गांव छोड़कर
भागने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि नेताओं और मीडिया से घटना के बारे
में बताने को लेकर पुलिस उनसे नाराज है।
बुदेश्वर ने सोमवार को कहा, ”ये पुलिस वाले हमारी प्यारी लड़की को मार दिए, वे हमको भी मार देंगे।”
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल ने रविवार को गांव
का दौरा किया। उन्होंने कहा, ”मैंने गांव में कई पुरुषों व महिलाओं से
मुलाकात की, और अब यह साफ हो गया है कि पुलिस ने एक गरीब और बेगुनाह लड़की
को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला।” घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भारी
गुस्सा है।
पटेल ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी पुलिस के दावे को झूठा साबित
कर दिया है और साफ कर दिया है कि लड़की को बहुत ही करीब से गोली मारी गई।
सरगुजा से अलग होकर बने बलरामपुर जिले के पुलिस अधीक्षक जीतेंद्र सिंह
मीणा ने कहा, ”मीना खलको के गांव से कोई चार किलोमीटर दूर नवाडीह में
नक्सलियों के साथ एक मुठभेड़ हुई थी। हमने जवाबी कार्रवाई में नक्सलियों पर
कम से कम 11 चक्र गोलियां चलाई थी। उसमें एक महिला नक्सली मारी गई थी।”
पीड़ित के बेगुनाह होने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने
कहा, ”प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि वह नक्सली थी।” लेकिन उन्होंने
स्वीकार किया कि लड़की संभवत: निहत्थी थी और नक्सली वर्दी में नहीं थी।
मीणा ने कहा, ”हम अपने स्तर पर एक विस्तृत जांच कर रहे है, यद्यपि
सरकार पहले ही घटना की एक मजिस्ट्रेट से जांच का आदेश दे चुकी है।”