नई दिल्ली। सरकार ने चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया है।
सोमवार को खाद्यान्न पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] ने 10
लाख टन चावल के निर्यात को अनुमति दे दी।
सूत्रों के मुताबिक गेहूं के निर्यात को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई
है। हालांकि इसकी मात्रा को लेकर ईजीओएम की अगली बैठक में फैसला होगा।
खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई के चलते सरकार ने वर्ष 2007 में गेहूं और
वर्ष 2008 में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सरकार ने अनाज के पर्याप्त भंडार को देखते हुए गैर-बासमती चावल का
निर्यात खोलने का फैसला किया है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुआई में
ईजीओएम की बैठक में यह निर्णय लिया गया। चावल निर्यात की अनुमति देने का
कारण गोदामों का अनाज से पटा होना और भंडारण की भारी तंगी बताया गया है।
खाद्य मुद्रास्फीति के 7.61 प्रतिशत पर बने रहने के बावजूद गेहूं और
चावल की कीमत स्थिर बनी हुई हैं। मौजूदा समय में सरकारी गोदाम 6.5 करोड़ टन
अनाज से लदे हैं। जबकि देश में भंडारण क्षमता महज छह करोड़ 22 लाख टन की ही
है। कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2011-12 के फसल वर्ष में कुल खाद्यान्न उत्पादन
24.5 करोड़ टन होने का अनुमान व्यक्त किया है। पिछले वर्ष उत्पादन 23 करोड़
58 लाख टन रहा था।