लुधियाना।
शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की नजर अब
सुबह से रसोई की तरफ नहीं टिकेगी। राज्य शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों
में मिड डे मील का चूल्हा बंद करने की योजना बना दी है।
शहरी स्कूलों में विद्यार्थियों को मिड-डे-मील का खाना सेंट्रलाइज्ड
रसोइयों से सप्लाई किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने सेंट्रलाइज्ड रसोइयों के
लिए अलग अलग निजी कंपनियों से आवेदन भी मांग लिए हैं। विभाग के अफसर इस
योजना को जुलाई माह से ही शुरू करना चाहते हैं।
नई योजना के मुताबिक हर शहर में विद्यार्थियों और स्कूलों की संख्या के
मुताबिक सेंट्रलाइज्ड रसोइयां बनाई जाएंगी। इन रसोइयों में सरकारी मापदंडों
के हिसाब से विद्यार्थियों के लिए खाना पकाया जाएगा और उसके स्कूलों तक
पहुंचाने की जिम्मेदारी भी खाना पकाने वाली कंपनी की ही होगी।
कंपनी की वैन हर दिन स्कूल में पहुंचकर बच्चों को खाना बांटेंगी। शिक्षा
विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से शहरी स्कूलों की संख्या और उनमें
पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या की रिपोर्ट मांगी है।
क्यों पड़ी सेंट्रलाइज्ड रसोइयों की जरूरत
खाद्य आपूर्ति विभाग की तरफ से स्कूलों को समय पर राशन नहीं मिलता है और
विभाग की तरफ से कई बार महीनों तक फंड नहीं मिलता है। जिसकी वजह से स्कूल
स्तर पर विद्यार्थियों को मिड डे मील नहीं मिल पाता है।
इसके अलावा मिड डे मील वर्कर आए दिन वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल कर
देते हैं। सरकारी स्कूलों के अध्यापक अभी तक बच्चों की खराब परफॉरमेंस के
लिए मिड डे मील के अतिरिक्त बोझ को जिम्मेदार मानते रहे हैं।
इसके साथ मिड डे मील का बजट खत्म होने की स्थिति में अध्यापकों को पैसों की
व्यवस्था भी अपने स्तर पर करनी होती थी। सरकारी प्राइमरी/ एलिमेंटरी
टीचर्स एसोसिएशन पंजाब के प्रधान शेर सिंह ने योजना का स्वागत करते हुए कहा
कि अब अध्यापकों को क्लर्क का काम छोड़कर पढ़ाने का मौका मिल सकेगा।
सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना को निरंतर जारी रखना सरकार की
जिम्मेदारी है। शहरी क्षेत्र में स्कूल नजदीक होते हैं इसलिए सेंट्रलाइज्ड
रसोई बनाकर खाना पहुंचाने में आसानी रहेगी। विभाग ने इसके लिए कंपनियों से
आवेदन मांगे हैं। जो कंपनी कम से कम खर्चे पर मापदंडों को पूरा करेगी उसे
दे दिया जाएगा। रही बात मिड डे मील वर्कर के बेरोजगार होने की वो तो
वॉलेंटरी तौर पर नियुक्त किए गए हैं। जो वॉलेंटरी तौर पर काम करना चाहेगा
वह काम करता रहेगा।
बी पुरुषार्थ, डायरेक्टर जनरल स्कूल, एजुकेशन चंडीगढ़
शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की नजर अब
सुबह से रसोई की तरफ नहीं टिकेगी। राज्य शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों
में मिड डे मील का चूल्हा बंद करने की योजना बना दी है।
शहरी स्कूलों में विद्यार्थियों को मिड-डे-मील का खाना सेंट्रलाइज्ड
रसोइयों से सप्लाई किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने सेंट्रलाइज्ड रसोइयों के
लिए अलग अलग निजी कंपनियों से आवेदन भी मांग लिए हैं। विभाग के अफसर इस
योजना को जुलाई माह से ही शुरू करना चाहते हैं।
नई योजना के मुताबिक हर शहर में विद्यार्थियों और स्कूलों की संख्या के
मुताबिक सेंट्रलाइज्ड रसोइयां बनाई जाएंगी। इन रसोइयों में सरकारी मापदंडों
के हिसाब से विद्यार्थियों के लिए खाना पकाया जाएगा और उसके स्कूलों तक
पहुंचाने की जिम्मेदारी भी खाना पकाने वाली कंपनी की ही होगी।
कंपनी की वैन हर दिन स्कूल में पहुंचकर बच्चों को खाना बांटेंगी। शिक्षा
विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से शहरी स्कूलों की संख्या और उनमें
पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या की रिपोर्ट मांगी है।
क्यों पड़ी सेंट्रलाइज्ड रसोइयों की जरूरत
खाद्य आपूर्ति विभाग की तरफ से स्कूलों को समय पर राशन नहीं मिलता है और
विभाग की तरफ से कई बार महीनों तक फंड नहीं मिलता है। जिसकी वजह से स्कूल
स्तर पर विद्यार्थियों को मिड डे मील नहीं मिल पाता है।
इसके अलावा मिड डे मील वर्कर आए दिन वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल कर
देते हैं। सरकारी स्कूलों के अध्यापक अभी तक बच्चों की खराब परफॉरमेंस के
लिए मिड डे मील के अतिरिक्त बोझ को जिम्मेदार मानते रहे हैं।
इसके साथ मिड डे मील का बजट खत्म होने की स्थिति में अध्यापकों को पैसों की
व्यवस्था भी अपने स्तर पर करनी होती थी। सरकारी प्राइमरी/ एलिमेंटरी
टीचर्स एसोसिएशन पंजाब के प्रधान शेर सिंह ने योजना का स्वागत करते हुए कहा
कि अब अध्यापकों को क्लर्क का काम छोड़कर पढ़ाने का मौका मिल सकेगा।
सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना को निरंतर जारी रखना सरकार की
जिम्मेदारी है। शहरी क्षेत्र में स्कूल नजदीक होते हैं इसलिए सेंट्रलाइज्ड
रसोई बनाकर खाना पहुंचाने में आसानी रहेगी। विभाग ने इसके लिए कंपनियों से
आवेदन मांगे हैं। जो कंपनी कम से कम खर्चे पर मापदंडों को पूरा करेगी उसे
दे दिया जाएगा। रही बात मिड डे मील वर्कर के बेरोजगार होने की वो तो
वॉलेंटरी तौर पर नियुक्त किए गए हैं। जो वॉलेंटरी तौर पर काम करना चाहेगा
वह काम करता रहेगा।
बी पुरुषार्थ, डायरेक्टर जनरल स्कूल, एजुकेशन चंडीगढ़