नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर अनशन पर बैठने
की इजाजत नहीं दी है। उधर, अन्ना अपने रुख पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि
अगर उन्हें अनशन से रोका गया तो वह अपने साथियों के साथ गिरफ्तारी देंगे।
अन्ना बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर रामलीला मैदान में हुई कार्रवाई के
विरोध में एक दिन का अनशन करने वाले हैं।
दिल्ली पुलिस के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया जताते हुए कर्नाटक के
लोकायुक्त और लोकपाल पर गठित मसौदा समिति के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि
यह निर्णय असंवैधानिक है। यह व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार का हनन है।
विदित हो कि हज़ारे पक्ष ने शहर में लगाई गई धारा 144 पर सवाल उठाते
हुए पुलिस को पत्र लिखा था, जिसके जवाब में दिल्ली पुलिस ने यह फैसला किया
है।
हजारे ने बीते रविवार ही घोषणा कर दी थी कि वह रामदेव पर हुई कार्रवाई
के विरोध में आठ जून को जंतर मंतर पर एक दिन का अनशन करेंगे। वह अप्रैल में
भी जंतर मंतर पर पांच दिन अनशन कर लोकपाल विधेयक मसौदा समिति का गठन करने
की अपनी मांग सरकार से मनवा चुके हैं।
दिल्ली पुलिस ने पूरे नई दिल्ली जिले में धारा 144 लगा रखी है। हज़ारे
पक्ष की ओर से कल रात पूर्व विधि मंत्री शाति भूषण ने दिल्ली पुलिस आयुक्त
को लिखे पत्र में कहा, ‘शातिपूर्ण और निहत्थे तरीके से इकट्ठा होना संविधान
के अनुच्छेद 19 [1] [ब] के तहत प्रदत्त मूल अधिकार है। हम आठ जून को अनशन
करने जा रहे हैं जो शांतिपूर्ण रहेगा और इसके कारण देश की संप्रभुता, अखडता
तथा लोक व्यवस्था के समक्ष कोई खतरा खड़ा नहीं होगा।’
इससे पहले, इस पत्र को लेकर दिल्ली पुलिस के मुख्यालय गए ‘इंडिया
अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता नीरज कुमार ने बताया कि हमने पुलिस आयुक्त
कार्यालय को पत्र सौंप दिया है। हमने दिल्ली पुलिस की धरने-प्रदर्शनों की
अनुमति देने वाली संबंधित शाखा और नई दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त को
भी इस पत्र की प्रति सौंप दी है।
दिलचस्प रूप से, भूषण के लिखे पत्र के लहज़े से संकेत मिलते हैं कि
हज़ारे पक्ष ने दिल्ली पुलिस से अनुमति नहीं मागी है, बल्कि उसे महज
प्रस्तावित अनशन के बारे में सूचित किया है।
भूषण ने पत्र में कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने 27 मई को
उच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि नई दिल्ली जिले में जनसभा
करने, धरना देने और शातिपूर्ण प्रदर्शन करने पर कुछ क्षेत्रों में धारा 144
के तहत लागू निषेधाज्ञा को हटाया जाता है। जब कभी आपात स्थिति महसूस होगी,
तभी यह धारा लागू की जाएगी।
भूषण ने आगाह करते हुए कहा था, ‘लोगों को जंतर मंतर पर पहुंचने से
रोकने की किसी भी कोशिश को जनता के मूल लोकतात्रिक अधिकारों के हनन के तौर
पर देखा जाएगा। हमें उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस इस तरह की कोशिश नहीं
करेगी।’
हज़ारे पक्ष ने रामदेव पर हुई कार्रवाई और भ्रष्टाचार के मुद्देपर
सरकार के अब तक के रुख के विरोध में कल लोकपाल मसौदा समिति की बैठक का
बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद सरकार के मंत्रियों ने खुद ही बैठक कर ली,
जिससे दोनों पक्षों के बीच गतिरोध और गहरा गया।
समिति में सरकार की ओर से शामिल सदस्य और मानव संसाधन विकास मंत्री
कपिल सिब्बल ने कहा कि हम हज़ारे पक्ष के बिना भी 30 जून तक विधेयक का
मसौदा तैयार कर लेंगे।
उधर, चार जून को रामलीला मैदान पर हुई घटना के बाद रामदेव समर्थकों के
जंतर मंतर पहुंचने की संभावना के चलते पुलिस ने वहा पहले से ही कड़े सुरक्षा
इंतजाम कर रखे हैं।
वहा दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं और जगह-जगह अवरोधक लगाए गए हैं।