अब निजी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनना आसान न रहा। पैरवी या
रिश्तेदारी नहीं चलेगी। शिक्षक बनने की हसरत रखने वालों को राज्य सरकार
द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी होगी।
मानव संसाधन विकास विभाग ने छह से चौदह वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त एवं
अनिवार्य शिक्षा अधिनियम तथा एनसीटीई के निर्देश के आलोक में तैयार
नियमावली में इस नई व्यवस्था को स्पष्ट कर दिया है।
नियमावली में निजी विद्यालयों पर अनेक पाबंदी लगायी गयी है। अब उनमें
शिक्षक बनना टाइम पास जाब नहीं रहा। ऐसे स्कूलों में जो शिक्षक पूर्व से
कार्यरत हैं मगर इंटर पास नहीं हैं और न ही वे प्रशिक्षित हैं तो उन्हें भी
पांच वर्ष के अंदर अनिवार्य रूप से इंटर की परीक्षा पास होने के साथ ही
अपेक्षित प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लेना होगा। अन्यथा, उन पर तथा स्कूल
प्रबंधन पर कार्रवाई की जायेगी।
नियमावली के तहत निजी विद्यालयों को भी सरकारी विद्यालयों के समान हरेक
30 छात्र पर एक शिक्षक नियुक्त करना है। अब दो-चार कमरे खोल कर उनमें
स्कूल चलाने तथा कमरों में भेड़-बकरी की तरह बच्चे ठूंस लेने के दिन समाप्त
हुए। नियमावली के मुताबिक विद्यालय में भवन व अन्य संरचनाएं तथा मैदान
निर्धारित मानदंड के अनुरूप होना चाहिए। जितने कक्ष होंगे उनमें अधिकतम तीस
छात्र बैठेंगे और उन पर एक शिक्षक तैनात रहेगा।
नियमावली में इस बात का भी उल्लेख है कि निजी विद्यालयों में आरक्षित
कोटे पर नामांकित 25 फीसदी बच्चे मुफ्त पाठयपुस्तक, लेखन सामग्री व पोशाक
पाने के हकदार होंगे। इसके एवज में सरकार जिलों से आंकड़े मिलने के बाद ऐसे
स्कूलों को अगले स्कूल सत्र के पूर्व प्रति छात्र 3300 रुपये प्रतिपूर्ति
के तौर पर भुगतान करेगी। भुगतान चेक के जरिये होगा तथा इसके लिए स्कूलों को
अलग बैंक खाता खोलना होगा।