सुपौल : सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार के लोगों को
फ़िर से कोसी के कहर का डर सताने लगा है. कारण भारत-नेपाल के अधिकारियों के
बीच मीटिंग का लंबा दौर पर पायलट चैनल का निर्माण नहीं हो सका. अगस्त 2008
की कोसी त्रासदी से बचने के लिए सुझाये तो गये पर उपाय अस्थायी साबित हो
रहे हैं.
कोसी को नियंत्रित करने के लिए 1955 में वीरपुर से कोपड़िया तक 125
किलोमीटर तथा नेपाल में भारदह से सहरसा के समीप तक 126 किलो मीटर में
क्रमश: पूर्वी तथा पश्चिमी तटबंध का निर्माण कर कोसी वासियों को स्वर्णिम
भविष्य का सपना दिखाया गया. 1963 से 2008 तक का कालखंड स्वर्णिम तो नहीं हो
सका पर कोसी का कहर बदस्तूर जारी है.
पायलट चैनल निर्माण की निर्धारित अवधि 31 मई बीतने वाला है. निर्माण
कार्य अवरुद्ध है. तिथि बढ़ा कर 15 जून किया गया है. लेकिन कोसी के बढ़ते
जलस्तर को देख कार्य पर लगे अभियंताओं ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं.
अभियंता प्रमुख बताते हैं कि अब आदेश के बावजूद पायलट चैनल का निर्माण कर
पाना संभव नहीं है.
कब-कब दिया तटबंध ने दगा
अतीत में झांकने पर पाते हैं कि प्रारंभ में कोसी तटबंध का निर्माण
कार्य पूरा हुआ भी नहीं था कि सन् 1963 में नेपाल के डलवा के समीप कोसी नदी
ने तटबंध को अपनी चपेट में ले लिया. इसमें जान माल को भारी नुकसान पहुंचा.
अब तक के सर्वाधिक जलश्राव रिकार्ड पर यदि गौर करें तो पांच अक्टूबर सन्
1968 को कोसी नदी का जलश्राव अभी तक का अधिकतम नौ लाख तेरह हजार क्यूसेक
रिकॉर्ड किया गया था.
इस दौरान भी कई इलाके बाढ़ की चपेट में आये. जल का फ़ैलाव कई रिहाइशी
इलाकों तक हो गया जिसमें लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी. वहीं 12 अगस्त
1971 को भटनियां अप्रोच बांध में 10 किमी बिंदु पर कटाव हुआ और धीरे-धीरे
यह बांध पूर्णत: टूट गया जिसमें लोगों को व्यापक क्षति हुई. लोगों ने किसी
तरह जान बचा कर तटबंध पर शरण लिया.
पुन: आठ अगस्त 1980 को बहरूआ के निकट पूर्वी तटबंध के 122 किमी बिंदु पर
क टाव की जद में आया, लेकिन इस बार लोगों को कम नुकसान हुआ. फ़िर पांच
सितंबर 1984 को नवहट्टा के समीप कोसी तटबंध ने दगा दिया. 75 से 78 किमी के
बीचतटबंध टूटने से पांच लाख की आबादी तबाह हुई. इस बार कोसी के कहर से जान
माल को भारी क्षति पहुंची.
18 अगस्त 2008 का दिन कोसी क्षेत्र के इतिहास का काला अध्याय लिख गया.
जब-जब कोसी के तटबंध टूटे, जांच आयोग का गठन हुआ. कोसी तटबंध के
क्या कहानी दोहरायी जायेगी?
कई ऐसे बिंदुओं पर नदी पूर्वी तटबंध से सट कर बह रही है. गत वर्ष इन
बिंदुओं पर तटबंध को बचाने एवं तबाही को रोकने में कार्य से जुड़े
अभियंताओं को एड़ी-चोटी का जोड़ लगाना पड़ा था. साल भर की अवधि में इन
नाजुक बिंदुओं पर किसी प्रकार का कार्य नहीं हो पाया. सोच थी कि पायलट चैनल
की खुदाई के बाद नदी दोनोंतटबंधों के बीचोबीच बहने लगेगी और तटबंध पर
दबाव नहीं रहेगा. पायलट चैनल निर्माण की निर्धारित अवधि 31 मई बीतने वाला
है. निर्माण कार्य अवरुद्ध है. तिथि बढ़ा कर 15 जून किया गया है. लेकिन
कोसी के बढ़ते जलस्तर को देख कार्य पर लगे अभियंताओं ने अपने हाथ खड़े कर
लिए हैं. अभियंता प्रमुख बताते हैं कि अब आदेश के बावजूद पायलट चैनल का
निर्माण कर पाना संभव नहीं है.
बोल्डर क्रेटिंग पर ध्यान दें मंत्री
राघोपुर : जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रविवार को पूर्वी कोसी
तटबंध के निरीक्षण के दौरान गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया.
मंत्री ने 09, 16.64, 22.40, 20.20, 24.14, 27.01 आदि बिंदुओं का जायजा
लिया. उन्होंने 24.14 स्पर पर चल रहे बोल्डर क्रेटिंग सहित अन्य कार्यो की
गुणवत्ता पर ध्यान देने देने के साथ-साथ विभिन्न स्परों पर हो रहे नदी के
क्षरण को रोकने का भी उन्होंने निर्देश दिया. पूर्वी कोसी तटबंध पर बने
दबाव को कम करने के लिए लगाये जाने वाले पकरेपाइन के प्रभाव की चर्चा करते
हुए उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से सिल्ट जमा हो जाता है, जिससे तटबंध के
समीप दबाव कम पड़ता है. निरीक्षण के क्रम में उनके साथ जल संसाधन विभाग के
प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी,
अभियंता प्रमुख राजेश्वर दयाल, मुख्य अभियंता चंद्रशेखर पासवान व उनके
सचिव किशोर कुमार सहित अन्य मौजूद थे.