नई दिल्ली.
लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने वाली समिति में शामिल होने के बाद एक के
बाद एक विवादों में घिर रहे शांतिभूषण को लेकर अन्ना हजारे की टीम में ही
अलग-अलग सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम की अगुवाई
करने वाले अन्ना ने शांतिभूषण को लेकर उठे विवाद पर कहा कि उन्हें हकीकत
का पता नहीं है जबकि समिति में शामिल सिविल सोसायटी के अन्य नुमाइंदों
जस्टिस संतोष हेगड़े और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शांतिभूषण पर लगाए जा
रहे आरोप बेबुनियाद हैं।
अन्ना हजारे ने कहा कि शांति भूषण को
लोकपाल बिल की समिति में शामिल करने का फैसला उनका नहीं था और वह उनसे
दिल्ली में ही मिले थे। उन्हें भूषण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
उनके सामने नाम सुझाया गया, जिस पर उन्होंने हामी भर दी।
अन्ना
हजारे ने साफ किया है कि लोकपाल बिल ड्राफ्ट कमेटी में शामिल करने के लिए
शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण का नाम उनके द्वारा नहीं सुझाया गया।
उन्होंने उसका केवल अनुमोदन किया था। उन्होंने कहा कि वे तो उन्हें अच्छे
से जानते भी नहीं हैं। उन्होंने भूषण के इलाहाबाद और नोएडा की जमीन पर
विवाद पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी
नहीं है।
ड्राफ्ट कमेटी के एक अन्य सदस्य अरविंद केजरीवाल ने दावा
किया है कि शांति भूषण पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और यह सब
उन्हें बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि नोएडा के प्लाट उन्होंने
नियमों के अनुकूल ही लिए हैं। सीडी मामले में उन्होंने कहा कि भूषण ने
उसका अमेरिका और हैदराबाद की प्रयोगशाला में परीक्षण करवाया है और पाया कि
सीडी के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली पुलिस का कोई
दूसरा नतीजा है, तो किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच करवा ली जाए।
उन्होंने साफ किया कि भूषण पैनल से इस्तीफा नहीं देंगे।
इसी बीच
कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े ने आरोप लगाए हैं कि कुछ तत्व
लगातार जन लोकपाल बिल बनाए जाने की प्रक्रिया में रुकावट डालने का पूरा
प्रयास कर रहे हैं। और इन सभी गतिविधियों के मद्देनजर वे कमेटी से इस्तीफा
देने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने उन पर आरोप लगाया
कि उन्होंने बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ
नहीं किया। लेकिन सिंह को इस बात की जानकारी होना चाहिए कि मुख्यमंत्री के
खिलाफ सभी मामलों में हाई कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है और फिर भी उनसे जितना
बन पड़ा, भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि वे नेता नहीं
हैं और इस तरह उनका नाम विवादों में घसीटे जाने से उन्हें दुख हुआ है।
लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने वाली समिति में शामिल होने के बाद एक के
बाद एक विवादों में घिर रहे शांतिभूषण को लेकर अन्ना हजारे की टीम में ही
अलग-अलग सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम की अगुवाई
करने वाले अन्ना ने शांतिभूषण को लेकर उठे विवाद पर कहा कि उन्हें हकीकत
का पता नहीं है जबकि समिति में शामिल सिविल सोसायटी के अन्य नुमाइंदों
जस्टिस संतोष हेगड़े और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शांतिभूषण पर लगाए जा
रहे आरोप बेबुनियाद हैं।
अन्ना हजारे ने कहा कि शांति भूषण को
लोकपाल बिल की समिति में शामिल करने का फैसला उनका नहीं था और वह उनसे
दिल्ली में ही मिले थे। उन्हें भूषण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
उनके सामने नाम सुझाया गया, जिस पर उन्होंने हामी भर दी।
अन्ना
हजारे ने साफ किया है कि लोकपाल बिल ड्राफ्ट कमेटी में शामिल करने के लिए
शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण का नाम उनके द्वारा नहीं सुझाया गया।
उन्होंने उसका केवल अनुमोदन किया था। उन्होंने कहा कि वे तो उन्हें अच्छे
से जानते भी नहीं हैं। उन्होंने भूषण के इलाहाबाद और नोएडा की जमीन पर
विवाद पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी
नहीं है।
ड्राफ्ट कमेटी के एक अन्य सदस्य अरविंद केजरीवाल ने दावा
किया है कि शांति भूषण पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और यह सब
उन्हें बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि नोएडा के प्लाट उन्होंने
नियमों के अनुकूल ही लिए हैं। सीडी मामले में उन्होंने कहा कि भूषण ने
उसका अमेरिका और हैदराबाद की प्रयोगशाला में परीक्षण करवाया है और पाया कि
सीडी के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली पुलिस का कोई
दूसरा नतीजा है, तो किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच करवा ली जाए।
उन्होंने साफ किया कि भूषण पैनल से इस्तीफा नहीं देंगे।
इसी बीच
कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े ने आरोप लगाए हैं कि कुछ तत्व
लगातार जन लोकपाल बिल बनाए जाने की प्रक्रिया में रुकावट डालने का पूरा
प्रयास कर रहे हैं। और इन सभी गतिविधियों के मद्देनजर वे कमेटी से इस्तीफा
देने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने उन पर आरोप लगाया
कि उन्होंने बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ
नहीं किया। लेकिन सिंह को इस बात की जानकारी होना चाहिए कि मुख्यमंत्री के
खिलाफ सभी मामलों में हाई कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है और फिर भी उनसे जितना
बन पड़ा, भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि वे नेता नहीं
हैं और इस तरह उनका नाम विवादों में घसीटे जाने से उन्हें दुख हुआ है।