हमने इनके बूते कुचला भ्रष्टाचार

शिमला।
हिमाचल में भी ऐसे अन्ना हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक
लड़ाई लड़ी। उनकी इस लड़ाई में अंतत: भ्रष्टाचारियों को मुंह की खानी पड़ी।
पेश हैं ऐसे कुछ चेहरे जिन्होंने जनहित के लिए आवाज उठाई..




हौसले से उजागर हुई मनरेगा की धांधली


कमला देवी, घरेलू महिला, मंडी


मंडी के पंडोह कस्बे के सरहांडा गांव की कमला देवी ने 2007 में मनरेगा के
खिलाफ प्रदेश में पहली एफआईआर दर्ज करवाई थी। कमला देवी को उसके पति ने
अपने से अलग कर दिया है वह अपने दो छोटे बच्चों के साथ अपने मायके में रह
रही है। मायके वालों की दी हुई थोड़ी सी जमीन से कमला देवी को अपने बच्चों
का पालन-पोषण करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कमला देवी
अपने गरीब मां-बाप पर अपना और अपने बच्चों का बोझ नहीं डालना चाहती थी और
मनरेगा में काम करने के लिए पंचायत प्रधान से अपना जॉब कार्ड मांगने के लिए
गई तो पता चला कि उसके नाम से तो मस्टर रोल में पहले से ही हाजरियां लग
रही थीं और उसके नाम पर सरकारी पैसे को डकारा जा रहा था। कमला देवी ने इस
बारे में पुलिस में मामला दर्ज करवाया। सरपंच ने उसका बीपीएल सार्टिफिकेट
बनाने में मुश्किलें पैदा दीं। उन्होंने सूचना अधिकार कानून का प्रयोग कर
अपनी लड़ाई लड़ी और बीपीएल कार्ड़ हासिल करने में भी कामयाब रही।




गरीबों का राशन डकारने वाले किए बेनकाब


रणजीत चौहान, एडवोकेट, जोगेंद्रनगर


जोगेंद्रनगर की तुलाह पंचायत के प्रधान एवं वकील रणजीत चौहानभ्रष्टाचार के
खिलाफ सूचना अधिकार कानून को हथियार बनाकर भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करते आ
रहे हैं। उन्होंने न केवल 100 मेगावॉट की निर्माणाधीन उहल चरण तीन
परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को बेनकाब किया है, बल्कि लोक निर्माण
विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों का चूना
लगाने के मामलों का पटाक्षेप किया है। सरकारी राशन को उकारने वालों के
खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा कर उन्होंने भ्रष्टाचारियों को बेनकाब
किया। उहल परियोजना में आईपीएच विभाग की सरकारी पाइपों का प्रयोग करने की
मिलीभगत और बस्सी पावर प्रोजेक्ट में रिपेयर के नाम पर करोड़ों डकारने के
मामले में धांधलियां सामने लाई। उहल के प्रभावितों और विस्थापितों को मिलने
वाले लाडा के पैसे को मंत्री की पंचायत में खर्च कर देने के मामले को भी
वह उजागर कर चुके हैं। वह अभी तक 5 दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले
उजागर कर चुके हैं।




प्रलोभन भी नहीं डिगा पाए हिम्मत को


कुलभूषण उपमन्यु, पर्यावरणविद, चंबा


चंबा के कामला गांव (भटियात) के रहने वाले जानेमाने पर्यावरणविद कुलभूषण
उपमन्यु ने अपने सहयोगियों के साथ सामाजिक अव्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी
है और लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने की चेतना जगाई है। प्रदेश के स्की/> विलेज पर रोक, रेणुका बांध से विस्थापन का मुद्दा, किन्नौर की कड़छम वांगतु
परियोजना में स्थानीय लोगों की भागीदारी, चमेरा-2 के मजदूरों के हित जैसे
कई मुददों पर आंदोलन किए। लोकपाल बिल के मामले में धरना दिया। चंबा के
विभिन्न प्रोजेक्टों का विरोध करने पर उन्हें और उनके साथियों को आर्थिक और
अन्य प्रलोभन दिए गए। बैठक के दौरान हमला भी करवाया गया, जिसमें रतन चंद,
मान सिंह, लक्ष्मण, हेमराज और मनोज घायल हो गए, लेकिन वह झुके नहीं और
लड़ते रहे। अस्सी के दशक में सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा के
साथ चिपको आंदोलन को गढ़वाल से हिमाचल में कामयाब बनाया। अभी वह हिमालय
नीति अभियान समिति के माध्यम से विभन्न मुद्दों पर चेतना फैला रहे हैं।




घूसखोर को पकड़वाया


प्रताप चंद, समाजसेवी, कुल्लू


वांहग के प्रताप चंद ने पूरे तीन साल तक भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ी।
आखिर तीन सालों के बाद उसकी जंग रंग लाई। प्रताप चंद का कहना है कि सरकारी
विभागों में छोटे-छोटे कार्य करवाने के लिए बड़ी बड़ी रकम की मांग की जाती
है। धन्नासेठ तो रकम देकर अपना काम निकाल रहे हैं, लेकिन गरीब तबके बड़ी
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनसे भी राजस्व विभाग के एक पटवारी
द्वारा काम करवाने की एवज में घूस मांगी गई थी। मना करने के बाद घूसखोर
पटवारी नहीं माना। उनका कहना है कि उन्होंने तीन साल तक इस पटवारी से अपना
काम करवाने के लिए कई चक्कर काटे। बाद में विजिलेंस का दरवाजा खटखटाया। और
पटवारी को मनाली के पास वांहग में 30 हजार रुपए घूस लेते हुए रंगे हाथों
गिरफ्तार करवाया। पटवारी ने प्रताप चंद से भूमि के बाजार मूल्य को कम करने
की एवज में ३क् हजार रुपए की मांग की थी। इसके अलाव प्रताप चंद क्षेत्र में
भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों को उजागर कर चुके हैं और संर्घष जारी रखे
हैं।




सड़क के लिए लड़ी लड़ाई


हीरानंद शांडिल्य, समाजसेवी, शिमला


राजधानी के उपनगर शोघी से सटी कोट पंचायत के लिए सड़क को पास होने में ही
पांच साल लग गए। इसके चलते शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए हीरानंद
शांडिल्य की अध्यक्षता में लोगों ने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए एक साझा मंच
बनाया। खेतों में सब्जियों को उगाने वाले किसान को उत्पाद बाजार तक
पहुंचाने के लिए करीब पांच किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा। बाद में एक
बार जब जिला प्रशासन, पुलिस और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी क्षेत्र के
दौरे पर आए, तो लोगों ने रोष स्वरूप छह घंटे उनका घेराव किया, जिसके बाद
कोट तक सड़क को पास किया जा सका। इस तरह सड़क वर्ष 2005-06 से बजट में आई
सड़क वर्ष 2010 में पास हो सकी। लोगों को तो पांच साल बाद समस्या से निजात
मिल गया, मगर अभी दो किलोमीटर दूर गेहा गांव के लोग इसी समस्या से जूझ रहे
हैं। इसके लिए शांडिल्य का मंच अभी भीलड़ाईलड़ रहे हैं। उनका कहना है कि
गेहा तक विभाग अब क्षेत्र में भू स्खलन होने का हवाला दे रहा है। उनकी
लड़ाई जारी रहेगी।




..और यहां महिलाओं ने छेड़ी जंग


जोगेंद्रनगर. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा महिला मोर्चा ने मशाल
जुलूस निकाल कर विरोध जताया। महिलाओं ने मशालें लेकर शहर की परिक्रमा की।
मोर्चा की महामंत्री नीलम सरेक, मीडिया प्रभारी प्रेम चौहान, राष्ट्रीय
कार्य समिति सदस्य रश्मि सूद, मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष राकेश शर्मा,
जोगेंद्रनगर की अध्यक्ष संतोष सोनी, महासचिव रीता ठाकुर, नगर परिषद सदस्य
ब्यासा देवी और सविता शर्मा समेत कई महिलाओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

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