वरोरा.(चंद्रपुर).
वर्धा पावर प्रोजेक्ट द्वारा वर्धा नदी में गड्ढा कर पानी का दोहन करने के
खिलाफ शनिवार को दोपहर अन्याय-भ्रष्टाचार निवारण समिति के अध्यक्ष अजय
हिरन्ना रेड्डी ने तहसील कार्यालय में वीरुगीरी की। जिससे कंपनी के
अधिकारियों में खलबली मच गई।
आंदोलनकारी द्वारा केरोसिन की कैन लेकर टावर पर चढ़ने से पुलिस प्रशासन भी
सख्ते में आ गया। इस बीच जब तक वर्धा पावर कंपनी नदी से पानी का दोहन बंद
नहीं होता, तब तक टावर से न उतरने की भूमिका आंदोलनकारी ने अपनाई। जिससे
तहसील कार्यालय में लोगों की भारी भीड़ जुट गई थी।
गत वर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान वरोरा शहर में पेयजल के लिए हाहाकार मच गया
था। यही स्थिति इस वर्ष भी निर्माण होने की संभावना है। ऐसे में विगत कई
माह से वरोरा स्थित वर्धा पावर कंपनी वर्धा नदी के मारडा घाट में गड्ढा कर
पानी का दोहन हो रहा है। जिससे शहर को अभी से पेयजल के लिए तरसना पड़ेगा,
ऐसा डर नागरिकों ने व्यक्त किया है।
इस संबंध में समिति अध्यक्ष अजय हिरन्ना रेड्डी ने 21 फरवरी को कंपनी
प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर पानी के दोहन को रोकने की मांग
की थी। इस ओर अनदेखी की गई तो 3 मार्च से आमरण अनशन करने की चेतावनी भी
उन्होंने दी थी। लेकिन पुलिस द्वारा 3 मार्च को लिखित आश्वासन देने से आमरण
अनशन रोक दिया था।
इसके बावजूद अब तक न तो कंपनी ने पानी का दोहन रोका और न ही पुलिस प्रशासन
ने कोई कार्रवाई की। जिससे संतप्त समिति अध्यक्ष रेड्डी ने तहसील कार्यालय
में स्थित वायरलेस टावर पर केरोसिन की कैन लेकर चढ़ गए।
इसकी जानकारी मिलते ही कंपनी के अधिकारियों के साथ पुलिस पथक भी तहसील
कार्यालय पहुंचा। लेकिन आंदोलनकारी रेड्डी किसी से बात करने के मूड़ में
नहीं थे। उनका कहना है कि जब तक कंपनी पानी का दोहन नहीं रोकेगा तब तक टावर
से नहीं उतरेंगे। जिससे हतबल होकर पुलिस प्रशासन उनके टावर के नीचे उतरने
का इंतजार करती नजर आ रही थी।
वर्धा पावर प्रोजेक्ट द्वारा वर्धा नदी में गड्ढा कर पानी का दोहन करने के
खिलाफ शनिवार को दोपहर अन्याय-भ्रष्टाचार निवारण समिति के अध्यक्ष अजय
हिरन्ना रेड्डी ने तहसील कार्यालय में वीरुगीरी की। जिससे कंपनी के
अधिकारियों में खलबली मच गई।
आंदोलनकारी द्वारा केरोसिन की कैन लेकर टावर पर चढ़ने से पुलिस प्रशासन भी
सख्ते में आ गया। इस बीच जब तक वर्धा पावर कंपनी नदी से पानी का दोहन बंद
नहीं होता, तब तक टावर से न उतरने की भूमिका आंदोलनकारी ने अपनाई। जिससे
तहसील कार्यालय में लोगों की भारी भीड़ जुट गई थी।
गत वर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान वरोरा शहर में पेयजल के लिए हाहाकार मच गया
था। यही स्थिति इस वर्ष भी निर्माण होने की संभावना है। ऐसे में विगत कई
माह से वरोरा स्थित वर्धा पावर कंपनी वर्धा नदी के मारडा घाट में गड्ढा कर
पानी का दोहन हो रहा है। जिससे शहर को अभी से पेयजल के लिए तरसना पड़ेगा,
ऐसा डर नागरिकों ने व्यक्त किया है।
इस संबंध में समिति अध्यक्ष अजय हिरन्ना रेड्डी ने 21 फरवरी को कंपनी
प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर पानी के दोहन को रोकने की मांग
की थी। इस ओर अनदेखी की गई तो 3 मार्च से आमरण अनशन करने की चेतावनी भी
उन्होंने दी थी। लेकिन पुलिस द्वारा 3 मार्च को लिखित आश्वासन देने से आमरण
अनशन रोक दिया था।
इसके बावजूद अब तक न तो कंपनी ने पानी का दोहन रोका और न ही पुलिस प्रशासन
ने कोई कार्रवाई की। जिससे संतप्त समिति अध्यक्ष रेड्डी ने तहसील कार्यालय
में स्थित वायरलेस टावर पर केरोसिन की कैन लेकर चढ़ गए।
इसकी जानकारी मिलते ही कंपनी के अधिकारियों के साथ पुलिस पथक भी तहसील
कार्यालय पहुंचा। लेकिन आंदोलनकारी रेड्डी किसी से बात करने के मूड़ में
नहीं थे। उनका कहना है कि जब तक कंपनी पानी का दोहन नहीं रोकेगा तब तक टावर
से नहीं उतरेंगे। जिससे हतबल होकर पुलिस प्रशासन उनके टावर के नीचे उतरने
का इंतजार करती नजर आ रही थी।