आम बजट 2011-12: खास-खास बातें

नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की
स्थिति में पहुंचने का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी
ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए
भाषण की शुरुआत की।

अपने शुरुआती भाषण में मुखर्जी ने कहा, ‘हम उच्च विकास और चुनौतियों से
भरपूर एक महत्वपूर्ण वर्ष के अंत में है। वर्ष 2010-11 में विकास दर अच्छी
रही। अर्थव्यवस्था संकट से पूर्व की स्थिति में पहुंच गई है।’

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उच्च विकास दर बनाए रखना, विकास में
भागीदारी बढ़ाना और संस्थाओं की प्रासंगिकता को बढ़ाना हमारी तीन प्रमुख
प्राथमिकताएं हैं।

75 वर्षीय मुखर्जी का यह छठा आम बजट है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
[संप्रग] सरकार में वित्त मंत्री के रूप में यह उनका तीसरा बजट है।
उन्होंने वर्ष 1982 से 1984 के बीच तीन बार बजट पेश किया था।

उनके भाषण के मुख्य बिंदु निम्न है :

– चालू खाता घाटा वर्ष 2009-10 के स्तर पर।

– भ्रष्टाचार एक समस्या जिससे मिलकर निपटना होगा।

– विकास में भागीदारी बढ़ाने की जरूरत।

– मजबूत वित्तीय समेकन जरूरी।

-अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की स्थिति में।

-दहाई अंक में विकास दर प्राप्त करने का लक्ष्य।

-जनवरी में कुल खाद्यान्न महंगाई दर नौ फीसदी से कम रही।

– विनिवेश कार्यक्रम की गति अगले वित्त वर्ष में भी बनाई रखी जाएगी।

– विदेशी निवेशकों को भारतीय म्युचुअल फंडों में सीधे निवेश की छूट।

-विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारतीय कंपनियों के बाडों में निवेश सीमा बढ़ाई गई।

– वर्ष 2011-12 में विकास दर 8.75 प्रतिशत से 9.25 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान

– बीमा, पेंशन फंड, बैंकिंग विधेयक पेश किए जाएंगे

– स्वतंत्र ऋण प्रबंधन कार्यालय की स्थापना होगी, सार्वजनिक ऋण प्रबंधन विधेयक संसद में पेश होगा

– अच्छे मानसून के लिए इंद्र देवता और देवी लक्ष्मी से याचना

– जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक इसी सत्र में। जीएसटी लागू होने
पर कुशलता में वृद्धि होगी, मौजूदा सत्र में पेश होगा विधेयक, क्रियान्वयन
के लिए मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र की स्थापना

– सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध

– एफडीआई नीति को उदार किया जाएगा

– चालू खाता घाटा वर्ष 2009-10 के स्तर पर

-ं नए बैंक लाइसेंस देने के संबंध में विधेयक इसी सत्र में।

– देश के विभिन्न भागों में एक ही वस्तु की खुदरा कीमतों का अंतर उचित नहीं।

– ग्रामीण बैंकों को नए वित्त वर्ष में 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त
पूंजी दी जाएगी। सरकारी बैंकों को जोखिम पूंजी उपलब्धता बढ़ाने लिए 6,000
करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव।

-5 लाख रुपए तक की कीमत वाले मकान पर 15 लाख रुपये तक के ऋण पर एक फीसदी की ब्याजसहायता।

-चालू खाते का घाटा और औसत मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2011-12 में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम रहने की उम्मीद।

-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए अगले वित वर्ष में 7,866 करोड़ रुपये का प्रावधान।

-दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए बारानी क्षेत्रों में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान।

-आयल पाम की खेती के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान।

-आगामी वित्त वर्ष में 4. 75 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण का लक्ष्य। समय पर ऋण लौटाने वाले किसानों को केवल 4 फीसद ब्याज देना होगा।

-महिला स्वयं सहायता समूह के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि से कोष।

– मार्च 2012 तक 40 लाख टन अतिरिक्त अनाज भडार की क्षमता तैयार करने का लक्ष्य।

– वर्ष 2011-12 में ढाचागत क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न संस्थानों
की ओर से 30,000 करोड़ रुपये के कर मुक्त बाड जारी किए जाएंगे।

– सरकार विनिर्माण क्षेत्र के लिए नई नीति बनाएगी।

-प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और उदार बनाने के लिए बातचीत जारी।

– बिजली से चलने वाली कारों के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाएगा।

– नाबार्ड के पूंजी आधार को मजबूत बनाया जाएगा। अल्पकालिक ऋण कोष के लिए 10,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

-निर्यातकों को करों की वापसी जल्द सुनिश्चित करने की नई योजना का प्रस्ताव। चर्म इकाइयों के लिए सात नए संकुलों की स्थापना।

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