भोपाल.
प्रदेश के 55 लाख किसानों की कृषि भूमि और अपेक्स बैंक की 17 अरब रुपए की
सपंत्ति गिरवी रखकर विदेशी एजेंसी से बिना ब्याज का कर्ज लेने के प्रस्ताव
पर सोमवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ।
नाबार्ड और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से खारिज हो चुके इस प्रस्ताव को
देशद्रोह बताते हुए विपक्ष ने विधायकों की समिति से जांच की मांग की।
अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि सरकार ने जांच ईओडब्ल्यु को दी है, उसकी
रिपोर्ट आने के बाद विधानसभा की समिति से जांच कराने पर विचार किया जाएगा।
विपक्षी सदस्य विरोध स्वरूप सदन से उठकर चले गए।
यह मामला प्रoAकाल में कांग्रेस विधायक प्रभुराम चौधरी ने उठाया। उन्होंने
कहा कि मेसर्स स्पीड स्टार एजेंसी से 6500 करोड़ रुपए लोन का यह प्रस्ताव
अपेक्स बैंक संचालक मंडल ने 30 नवंबर 2009 को पारित किया था। सहकारिता
मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि 2 लाख 18 हजार 200 करोड़ रुपए की संपत्ति
की जानकारी दी गई थी।
बिना ब्याज के लोन का प्रस्ताव आया था। लेकिन संपत्ति गिरवी नहीं रखी गई।
नाबार्ड और महाराष्ट राज्य सहकारी बैंक ने अनुमति नहीं दी। प्रारंभिक चर्च
में ही मामला समाप्त हो गया। चौधरी ने ऐसा नहीं है, नाबार्ड की आपत्ति के
बाद प्रस्ताव निरस्त हुआ। संसदीय कार्य मंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा
कि मप्र सरकार ने भी प्रस्ताव को नकारा। विधानसभा अध्यक्ष रोहाणी ने
टिप्पणी की सरकार ने रोका होता तो नाबार्ड तक मामला जाता ही नहीं।
प्रदेश के 55 लाख किसानों की कृषि भूमि और अपेक्स बैंक की 17 अरब रुपए की
सपंत्ति गिरवी रखकर विदेशी एजेंसी से बिना ब्याज का कर्ज लेने के प्रस्ताव
पर सोमवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ।
नाबार्ड और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से खारिज हो चुके इस प्रस्ताव को
देशद्रोह बताते हुए विपक्ष ने विधायकों की समिति से जांच की मांग की।
अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि सरकार ने जांच ईओडब्ल्यु को दी है, उसकी
रिपोर्ट आने के बाद विधानसभा की समिति से जांच कराने पर विचार किया जाएगा।
विपक्षी सदस्य विरोध स्वरूप सदन से उठकर चले गए।
यह मामला प्रoAकाल में कांग्रेस विधायक प्रभुराम चौधरी ने उठाया। उन्होंने
कहा कि मेसर्स स्पीड स्टार एजेंसी से 6500 करोड़ रुपए लोन का यह प्रस्ताव
अपेक्स बैंक संचालक मंडल ने 30 नवंबर 2009 को पारित किया था। सहकारिता
मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि 2 लाख 18 हजार 200 करोड़ रुपए की संपत्ति
की जानकारी दी गई थी।
बिना ब्याज के लोन का प्रस्ताव आया था। लेकिन संपत्ति गिरवी नहीं रखी गई।
नाबार्ड और महाराष्ट राज्य सहकारी बैंक ने अनुमति नहीं दी। प्रारंभिक चर्च
में ही मामला समाप्त हो गया। चौधरी ने ऐसा नहीं है, नाबार्ड की आपत्ति के
बाद प्रस्ताव निरस्त हुआ। संसदीय कार्य मंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा
कि मप्र सरकार ने भी प्रस्ताव को नकारा। विधानसभा अध्यक्ष रोहाणी ने
टिप्पणी की सरकार ने रोका होता तो नाबार्ड तक मामला जाता ही नहीं।