रायपुर.छत्तीसगढ़
में अब यहीं के बीजों से काजू और नारियल की खेती होगी। इसका व्यापारिक
उपयोग भी हो सकेगा। अब तक बाहर के बीजों से इसकी खेती होती थी जिससे
पैदावार सही ढंग से नहीं होती थी।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने काजू और नारियल समेत 11
फलदार, सुगंधित पौधे और धान की दो नई किस्में ईजाद की हैं। राज्य सरकार ने
व्यावसायिक स्तर पर इनके बीज निर्माण की मंजूरी दे दी है। अब राज्य के
किसान इसकी व्यावसायिक स्तर पर खेती कर सकेंगे।
कृषि विवि के संचालक अनुसंधान एवं विस्तार सेवाएं डॉ. एसके पाटिल ने बताया
कि इंदिरा काजू -1 का पेड़ लगभग पौने चार मीटर ऊंचा होता है। यह ठंड सह
सकता है। काजू की अन्य किस्मों की तुलना में इसकी उपज 52.49 प्रतिशत अधिक
है। इसके एक फल का वजन 10.50 ग्राम होगा।
राज्य सरकार ने बस्तर में इसकी खेती के लिए अनुमोदन किया है। शहीद गुंडाधूर
कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र जगदलपुर के कीट विज्ञानी डॉ. के आर
साहू ने काजू की नई किस्म को खोजा है। इसी प्रकार इंदिरा नारियल-1 भी
नारियल की एक नई किस्म है।
इसका उत्पादन दक्षिण प्रांतों की तुलना में कम पानी वाले इलाकों में भी ले
सकते हैं। प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष इसके 15122 फल लिए जा सकते हैं।
नारियल की प्रचलित किस्मों से इसका उत्पादन 40.92 प्रतिशत अधिक है। इसे भी
जगदलपुर कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ.
एलएस वर्मा ने खोजा है।
कुल्थी और तोरिया को भेजा आईसी नंबर के लिए :
राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद इंदिरा कुल्थी और इंदिरा तोरिया को नेशनल
आइडेंटिटी नंबर के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। वहां से नंबर
मिलने के बाद उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और अखिल भारतीय स्तर पर
इसका उत्पादन हो सकेगा।
अनाज नई किस्म विशेषता क्षेत्र
धान इंदिरा बारानी सूखा रोधी राज्य भर में
इंदिरा माहेश्वरी पतला धान राज्यभर में
मिर्ची इंदिरा मिर्ची सभी मौसम में राज्यभर में
बरबट्टी लाल बरबट्टी जल्दी पकने वाली राज्यभर में
लीची इंदिरा लीची-1 42.62 किलो प्रति पेड़ सरगुजा
उड़द उड़द प्रथम 73 दिनों में पकना राज्यभर में
/>
चना इंदिरा चना-1 112 दिनों में पकना राज्यभर में
कुल्थी इंदिरा कुल्थी-1 प्रोटीन 27.28 प्रतिशत जगदलपुर
तोरिया इंदिरा तोरिया 728 किग्रा प्रति हेक्टेयर राज्यभर में
में अब यहीं के बीजों से काजू और नारियल की खेती होगी। इसका व्यापारिक
उपयोग भी हो सकेगा। अब तक बाहर के बीजों से इसकी खेती होती थी जिससे
पैदावार सही ढंग से नहीं होती थी।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने काजू और नारियल समेत 11
फलदार, सुगंधित पौधे और धान की दो नई किस्में ईजाद की हैं। राज्य सरकार ने
व्यावसायिक स्तर पर इनके बीज निर्माण की मंजूरी दे दी है। अब राज्य के
किसान इसकी व्यावसायिक स्तर पर खेती कर सकेंगे।
कृषि विवि के संचालक अनुसंधान एवं विस्तार सेवाएं डॉ. एसके पाटिल ने बताया
कि इंदिरा काजू -1 का पेड़ लगभग पौने चार मीटर ऊंचा होता है। यह ठंड सह
सकता है। काजू की अन्य किस्मों की तुलना में इसकी उपज 52.49 प्रतिशत अधिक
है। इसके एक फल का वजन 10.50 ग्राम होगा।
राज्य सरकार ने बस्तर में इसकी खेती के लिए अनुमोदन किया है। शहीद गुंडाधूर
कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र जगदलपुर के कीट विज्ञानी डॉ. के आर
साहू ने काजू की नई किस्म को खोजा है। इसी प्रकार इंदिरा नारियल-1 भी
नारियल की एक नई किस्म है।
इसका उत्पादन दक्षिण प्रांतों की तुलना में कम पानी वाले इलाकों में भी ले
सकते हैं। प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष इसके 15122 फल लिए जा सकते हैं।
नारियल की प्रचलित किस्मों से इसका उत्पादन 40.92 प्रतिशत अधिक है। इसे भी
जगदलपुर कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ.
एलएस वर्मा ने खोजा है।
कुल्थी और तोरिया को भेजा आईसी नंबर के लिए :
राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद इंदिरा कुल्थी और इंदिरा तोरिया को नेशनल
आइडेंटिटी नंबर के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। वहां से नंबर
मिलने के बाद उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और अखिल भारतीय स्तर पर
इसका उत्पादन हो सकेगा।
अनाज नई किस्म विशेषता क्षेत्र
धान इंदिरा बारानी सूखा रोधी राज्य भर में
इंदिरा माहेश्वरी पतला धान राज्यभर में
मिर्ची इंदिरा मिर्ची सभी मौसम में राज्यभर में
बरबट्टी लाल बरबट्टी जल्दी पकने वाली राज्यभर में
लीची इंदिरा लीची-1 42.62 किलो प्रति पेड़ सरगुजा
उड़द उड़द प्रथम 73 दिनों में पकना राज्यभर में
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चना इंदिरा चना-1 112 दिनों में पकना राज्यभर में
कुल्थी इंदिरा कुल्थी-1 प्रोटीन 27.28 प्रतिशत जगदलपुर
तोरिया इंदिरा तोरिया 728 किग्रा प्रति हेक्टेयर राज्यभर में