जमीन सौंपने पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

गुड़गांव.
निजी कंपनी को गुड़गांव में 350 एकड़ भूमि को महज 17 सौ करोड़ रुपये में
मनमाने ढंग से बेचने को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। हरियाणा जनहित
कांग्रेस बीएल के सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने रविवार को विवादित भूमि पर
खड़े होकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का इस्तीफा मांगते हुए अध्यक्ष
सोनिया गांधी पर भी निशाना साधा।




दूसरी ओर बादशाहपुर में इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने कहा कि तत्काल
प्रभाव से भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार को बर्खास्त कर प्रदेश में
राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि गुड़गांव-फरीदाबाद रोड
पर वजीराबाद गांव की एचएसआईआईडीसी के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को अगस्त
2009 में निजी कंपनी को सौंप दिया गया। इस मामले में बरती गई अनियमितता के
उजागर होने के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। हालांकि इसके
लिए एचआईआईडीसी ने बकायदा अंतरराष्ट्रीय ढंग से नीलामी कराई थी और टेंडर
के विज्ञापनों का प्रकाशन भी किया गया था।




इस्तीफा दें सीएम : कुलदीप




रविवार को विवादित जमीन पर मीडिया से मुखातिब हजकां सुप्रीमो कुलदीप ने कहा
कि वजीराबाद गांव की जमीन को सरकारी दर पर पंचायत और किसानों से अधिग्रहित
की गई थी। प्रभावित लोगों को कौड़ियों के भाव मुआवजा दिया गया। उन्होंने
कहा कि वे शीघ्र इस बाबत राज्यपाल और राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे।
कुलदीप ने कहा कि आदर्श सोसाइटी घोटाला के सामने आने के बाद यदि महाराष्ट्र
के मुख्यमंत्री को हटाया जा सकता है तो मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा
को क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि हजकां इसके लिए प्रदेश भर में आंदोलन
चलाएगी। इस दौरान उनके साथ हजकां जिला अध्यक्ष बेगराज यादव समेत हजकां के
कई नेता उपस्थित थे।




मुख्यमंत्री को बर्खास्त करें: चौटाला




बादशाहपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पूर्व मुख्यमंत्री इनेलो
सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिए। हुड्डा की सरकार प्रदेश में
किसानों की जमीन को कल्याणकारी योजनाओं के नाम अधिग्रहित करती है। उसके बाद
निजी बिल्डरों को सौंप देती है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर इनेलो
गंभीर है। इसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। इस दौरान इनेलो जिला अध्यक्ष
गोपीचंद गहलोत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनंतराम तवर भी उपस्थित थे।




सवालों के घेरे में सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी




राजीव दत पाण्डेय गुड़गांव. गुड़गांव के वजीराबाद गांव की
गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर एक दशक पहले सेक्टर 42, 53, 54 के साथ कृषि योग्य
भूमि का अधिग्रहण किया गया था। यहां ग्राम पंचायत की अधिग्रहित भूमि को
हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को सौंप दिया गया था। इसी
अधिग्रहित जमीन में 350 एकड़ जमीन एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को महज 1700
करोड़ रुपए मेंसौंप दी गई। इस जमीन का आधा हिस्सा 161 एकड़ जमीन अरावली
प्लांटेशन स्कीम के तहत सरकारी फाइलो में जंगल कहलाती है। यही नहीं 92 एकड़
जमीन बकायदा पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट 1970 के तहत संरक्षित घोषित है।




जंगल की जमीन पर निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता न ही संरक्षित जमीन को
केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना नीलाम की जा सकती है। आरोप है कि हरियाणा
सरकार ने सभी नियमों की अवहेलना करते हुए बकायदा टेंडर निकाले, टेंडर की
शर्तों में यह भी आश्वासन दिया कि जमीन के लिए जरूरी क्लीयरेंस खुद निजी
कंपनी को लेकर देगी। सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने हरियाणा सरकार का पक्ष लेते
हुए अरावली प्लांटेशन स्कीम की जमीन पर निर्माण के आदेश दे दिए।




इंपावर्ड कमेटी ने सरकार के आवेदन पर कहा कि अरावली प्लांटेशन स्कीम की
जमीन जंगल नहीं है। राज्य सरकार को इसके बदले में 1700 करोड़ रुपए की कमाई
हो रही है। प्लांटेशन भी खुद हरियाणा सरकार ने किया इसलिए जमीन पर निर्माण
की इजाजत दी जा सकती है। इस तरह से सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी पर भी सवाल उठ
रहे हैं क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अरावली को जंगल मानने
से इंकार करते हुए किए गए प्लांटेशन को खुर्द-बुर्द करने की इजाजत दे दी।




रक्षा परियोजना को किया इंकार


इसके पहले हरियाणा सरकार से रक्षा परियोजना के लिए डिफेंस रिसर्च एवं
डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने बड़खल में परीक्षण सुविधाओं के लिए
जमीन की मांग की थी। लेकिन सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने उनकी अर्जी खारिज कर
दी कि निजी कंपनी के लिए सुरक्षित रखी।




शर्तों में भी किया बदलाव




विपक्ष का आरोप है कि एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए नीलामी की
शर्तो में भी फेरबदल किया गया। शर्ते इस कदर बदली गई कि कोई एक ही कंपनी उस
पर खरा उतरे। अगस्त 2009 में जारी हुए टेंडर में कंपनी ने रिजर्व प्राइस
1663 करोड़ रुपए तय किया था, बदले में कंपनी को 1700 करोड़ रुपए मिले। यानी
कंपनी को जमीन सिर्फ दो से तीन प्रति मीटर के भाव में पड़ी।




ये मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है। इसलिए मैं कुछ भी टिप्पणी नहीं कर सकता।




महेंद्र प्रताप सिंह, उद्योग मंत्री, हरियाणा सरकार

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