नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लंबी अवधि के लिए कर्ज देने वाले सहकारी
क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सरकार एक
और पैकेज दे सकती है। इस संबंध में एक प्रस्ताव पर बुधवार को कैबिनेट की
बैठक में विचार होने की संभावना है। इस पैकेज के तहत जिन राज्यों ने अपने
सहकारी ढांचे में बदलाव का फैसला किया है उन्हें अतिरिक्त वित्तीय मदद दी
जाएगी।
सरकार जम्मू और कश्मीर व पूर्वोत्तर के राज्यों में सूक्ष्म लघु एवं
मध्यम इकाइयों को केंद्रीय पूंजी निवेश सब्सिडी स्कीम के तहत मिलने वाली
रियायतें भी बढ़ाने पर विचार कर रही है। फिलहाल, केंद्र लघु इकाई स्थापित
करने व मशीन खरीदने पर 15 प्रतिशत की एक मुश्त सब्सिडी देती है। सरकार
कैबिनेट में वाणिज्य मंत्रालय के तहत औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग
[डीआइपीपी] के एक प्रस्ताव पर चर्चा कर सकती है। भारत और चीन के बीच हरित
तकनीकी के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए होने वाले समझौते के
प्रारूप को भी कैबिनेट बुधवार को मंजूरी दे सकती है। चीन के प्रधानमंत्री
वेन जियाबाओ भारत आ रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच
ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में समझौता होगा। इस बारे में एक प्रस्ताव
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने भेजा है।
केंद्र सरकार ने पांच वर्ष पहले सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के
लिए प्रो. वैद्यनाथन समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट को धीरे-धीरे लागू
किया जा रहा है। रिजर्व बैंक [आरबीआइ] इसकी सिफारिशों को लागू करने में
अहम भूमिका निभा रहा है। आरबीआइ सभी राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर उन्हें
सहकारी कानून में संशोधन के लिए तैयार कर रहा है। इस सुधार के बाद राज्यों
को वित्तीय मदद दी जाती है, जिसका इस्तेमाल वे सहकारी बैंकों के वित्तीय
पुनर्गठन के लिए करते हैं। बताते चलें कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने
चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए लंबी अवंिध के सहकारी वित्तीय
संस्थानों के वित्तीय पुनर्गठन के लिए पैकेज देने का एलान किया था।