पटना, जागरण ब्यूरो : कुसहा बांध टूटने से तबाह कोसी के इलाके के
पुनरुत्थान के लिए विश्व बैंक आगे आया है। विश्व बैंक ने एक हजार करोड़
रुपये मदद पर सहमति दी है। इसके लिए बिहार सरकार विश्व बैंक/अंतर्राष्ट्रीय
विकास अभिकरण के बीच वित्ताीय एवं परियोजना एकरारनामा किया जाना है।
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में एकरारनामे के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी
गयी। कर्ज के रूप में मिलने वाली इस राशि पर एक दशक बाद मामूली दर पर ब्याज
अदा करना होगा।
यह राशि कोसी क्षेत्र के घरों के पुननिर्माण, पथ एवं पुल-पुलियों के
पुननिर्माण, बाढ़ प्रबंधन क्षमता का सुदृढ़ीकरण, जीविका के साधनों में
वृद्धि, आपातकालीन उत्तारदायी क्षमता का सुधार तथा परियोजना प्रबंधन एवं
तकनीकी सहायता पर खर्च की जायेगी।
प्रधान सचिव कैबिनेट अफजल अमानुल्लाह ने बताया कि विश्व बैंक के साथ
एकरारनामे पर जल्द ही समझौता हो जायेगा। विश्व बैंक के अध्यक्ष 10-11 जनवरी
को पटना आ रहे हैं। यहां उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुलाकात होगी,
बैठक करेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक से मिलने वाली करीब एक हजार
करोड़ कर्ज के लिए एक दशक बाद से 2021 से 2030 तक 1.25 फीसदी की दर से
ब्याज के साथ लौटाना होगा, जबकि 2031 से 2045 के लिए ब्याज की दर ढाई फीसदी
होगी।
मंत्रिपरिषद की बैठक में वाल्मीकि व्याघ्र संरक्षण फाउंडेशन के गठन एवं
इसके संचालन के लिए नियमावली बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गयी।
बैठक में पद्मनाभन आयोग की अनुशंसा के आलोक में न्यायिक पदाधिकारियों को
भत्तो तथा सुनिश्चित वृत्तिउन्नयन, कजरा, पीरपैती, एवं चौसा में ताप
विद्युत गृहों की स्थापना के लिए जमीन, तथा विधानमंडल के सत्रावसान को भी
स्वीकृति दी गयी। बैठक में दुर्गावती जलाशय परियोजना को पूरा करने के लिए
राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार से 2029.80
हेक्टेयर वन भूमि के अपयोजन के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति दी गयी।
केन्द्र द्वारा सैद्धांतिक सहमति में लगायी गयी शर्तो के आलोक में रोहतास
एवं कैमूर जिला अंतर्गत क्षतिपूरक वनरोपण के लिए हस्तांतरित समतुल्य गैर वन
भूमि को सुरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया जायेगा। इससे इस परियोजना
के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।