पोरबंदर. गुजरात
के पोरबंदर जिले में एक पान की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने हाल ही में
कंप्यूटर का उपयोग सीखकर मनरेगा योजना में एक अनोखे घोटाले का भंडाफोड़
किया है। मनरेगा योजना के लाभार्थियों में प्रवासी, डॉक्टर, सरकारी
अधिकारी, अध्यापक और धनी किसान शामिल हैं। इन सभी को बेरोजगार ग्रामीणों के
तौर पर दिखाकर उनके नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। इस तरीके से अब तक
करीब एक करोड़ रुपए का घोटाला किए जाने का अनुमान है।
पोरबंदर जिले
के कुटियाना तालुका के कोटडा गांव में आधिकारिक तौर पर मनरेगा के 963 जाब
कार्ड धारक हैं। पिछले तीन वर्षो के दौरान उनको मजदूरी के तौर पर 95 लाख
रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। वास्तव में इनमें से किसी ने भी
कुओं की खुदाई या सड़कों के निर्माण में मजदूरी नहीं की है।
इस
घोटाले को सामने लाने वाले असलम खोखर (37 वर्ष) कुटियाना में एक पान की
दुकान चलाते हैं। उन्होंने कक्षा 10 में पढ़ाई छोड़ दी थी और हाल में ही
कंप्यूटर चलाना और गूगल पर नरेगा के लाभार्थियों को खोजने का तरीका सीखा
है।
खोखर ने कहा कि गूगल पर अपने इलाके के मनरेगा लाभार्थियों की
खोज के दौरान उनको अपने मित्र के बारे में पता चला जो सरकारी कर्मचारी होने
के बावजूद मनरेगा योजना में जॉब कार्डधारक के तौर पर दर्ज था। इसके बाद जब
उन्होंने गहराई से खोजबीन की तो प्रवासियों, डॉक्टरों, सरकारी अधिकारियों
को मनरेगा योजना में मजदूरों के रूप में दर्ज देखा।
के पोरबंदर जिले में एक पान की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने हाल ही में
कंप्यूटर का उपयोग सीखकर मनरेगा योजना में एक अनोखे घोटाले का भंडाफोड़
किया है। मनरेगा योजना के लाभार्थियों में प्रवासी, डॉक्टर, सरकारी
अधिकारी, अध्यापक और धनी किसान शामिल हैं। इन सभी को बेरोजगार ग्रामीणों के
तौर पर दिखाकर उनके नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। इस तरीके से अब तक
करीब एक करोड़ रुपए का घोटाला किए जाने का अनुमान है।
पोरबंदर जिले
के कुटियाना तालुका के कोटडा गांव में आधिकारिक तौर पर मनरेगा के 963 जाब
कार्ड धारक हैं। पिछले तीन वर्षो के दौरान उनको मजदूरी के तौर पर 95 लाख
रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। वास्तव में इनमें से किसी ने भी
कुओं की खुदाई या सड़कों के निर्माण में मजदूरी नहीं की है।
इस
घोटाले को सामने लाने वाले असलम खोखर (37 वर्ष) कुटियाना में एक पान की
दुकान चलाते हैं। उन्होंने कक्षा 10 में पढ़ाई छोड़ दी थी और हाल में ही
कंप्यूटर चलाना और गूगल पर नरेगा के लाभार्थियों को खोजने का तरीका सीखा
है।
खोखर ने कहा कि गूगल पर अपने इलाके के मनरेगा लाभार्थियों की
खोज के दौरान उनको अपने मित्र के बारे में पता चला जो सरकारी कर्मचारी होने
के बावजूद मनरेगा योजना में जॉब कार्डधारक के तौर पर दर्ज था। इसके बाद जब
उन्होंने गहराई से खोजबीन की तो प्रवासियों, डॉक्टरों, सरकारी अधिकारियों
को मनरेगा योजना में मजदूरों के रूप में दर्ज देखा।