नई दिल्ली। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] 20
रुपये प्रति क्विंटल यानी 1.8 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी के साथ 1,120
रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, वहीं मसूर और चने की दालों के न्यूनतम
समर्थन मूल्य में 380 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की गई है।
आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल की समिति [सीसीईए] ने बुधवार को 2010-11
की रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी दी। सीसीईए की बैठक के बाद गृहमंत्री पी
चिदंबरम ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। पिछले सत्र में रबी की प्रमुख
फसल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,100 रुपए प्रति क्विंटल था। न्यूनतम
समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जो सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदने के लिए
भुगतान करती है।
केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए वितरण के लिए किसानों से
गेहूं और चावल की खरीद करती है। ताजा संशोधन के अनुसार, मसूर दाल का
एमएसपी 380 रुपये [20.3 प्रति सैकड़ा] बढ़कर 2,250 रुपये प्रति क्विंटल और
चने की दाल का एमएसपी 340 रुपये बढ़कर 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया
है। सरकार ने इस साल दालों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने तथा आयात पर
निर्भरता घटाने के लिए इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में खासा इजाफा किया है।
कृषि मंत्रालय ने 2010-11 में दालों का उत्पादन 1.65 करोड़ टन तक पहुंचाने
का लक्ष्य रखा है। पिछले साल देश में दालों उत्पादन 1.45 करोड़ टन था। भारत
दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश है। देश की दालों की घरेलू आवश्यकता
1.8 से 1.9 करोड़ टन की है। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सालाना 35 से 40
लाख टन दालों का आयात किया जाता है। सीसीईए ने इसके साथ ही सरसों का
न्यूनतम समर्थन मूल्य 20 रुपये बढ़ाकर 1,850 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने
को भी मंजूरी दे दी है।
‘सैफ्लावर’ का एमएसपी 1,680 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,800 रुपये
प्रति क्विंटल कर दिया गया है। जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 30 रुपये
की बढ़ोतरी की गई है और अब यह 780 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। कृषि
लागत एवं मूल्य आयोग [सीएसीपी] की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम समर्थन
मूल्य में वृद्धि की जाती है। खरीफ सत्र में दालों के ऊंचे समर्थन मूल्य से
इसके बुवाई क्षेत्र में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है और खरीफ सत्र का उत्पादन
बढ़कर 60 लाख टन हो जाने की उम्मीद है। पिछले साल खरीफ सत्र में दालों का
उत्पादन 43 लाख टन रहा था।