जयपुर. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
मिशन के तहत रबी में त्वरित दलहन उत्पाद कार्यक्रम में कृषि विभाग की ओर
से चिह्न्ति ब्लॉकों में कृषि आदान (एग्रीकल्चर इनपुट्स) बांटे जाने में
स्थानीय स्तर पर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
इस कार्यक्रम में चने की वृहद फसल प्रदर्शन में शामिल किए गए 6 जिलों के
किसानों को बांटने के लिए 18.90 करोड़ के कीटनाशक और अन्य कृषि आदानों की
सप्लाई का काम बिना टेंडर ही निजी फर्मो को दे दिया। किसानों को आदान
बांटने का काम क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के जरिए किया जा रहा है, लेकिन
समितियों को आदान सप्लाई का काम निजी फर्मो को बिना टेंडर ही दे दिया गया।
नियमानुसार उर्वरक और कीटनाशी की आपूर्ति राजफेड के जरिए की जानी थी।
किसानों को बांटे जाने वाले किट में उर्वरक, जिंक, कीटनाशकों की गुणवत्ता
और कीमत पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ए 3 पी योजना में चने की बड़े स्तर पर
खेती के लिए चिह्न्ति किसानों को आईएनएम आईपीएम किट निशुल्क दिए जाते हैं।
किट के लिए प्रति हेक्टेयर हर किसान को 5400 रुपए के उर्वरक, जिंक, जिप्सम
और कीटनाशक दिए जा रहे हैं। इस योजना में चयनित ब्लॉक के हर किसान को
10,800 रुपए तक का आदान निशुल्क दिया जाना है। 6 जिलों में 35000 हेक्टेयर
क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 5400 रुपए के हिसाब से आदान की सप्लाई की जानी
है।
ये हैं गड़बड़ियां
क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को जारी खाद और कीटनाशकों के अनुज्ञा पत्रों
में जिस कंपनी का माल खरीदा है, उस तारीख में उसका अनुमति प्रमाण पत्र और ओ
फार्म ही अंकित नहीं है। चने के वृहद प्रदर्शन के लिए 6 जिलों में चिन्हित
ब्लॉकों में एक ही तरह के कीटनाशक और कृमिनाशक बांटे जा रहे हैं, जबकि इन
ब्लॉकों की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं। क्रय विक्रय
सहकारी समितियों की ओर से बिना टेंडर ही निजी फर्मो से माल खरीद कर देना।
चिन्हित ब्लॉकों में पहले मिट्टी परीक्षण नहीं किया गया और इसके बिना ही
खाद, उर्वरक और कीटनाशी दिया जा रहा है। जिंक सल्फेट में कई समितियों में
जिंक 21 प्रतिशत और 33 प्रतिशत का स्टॉक है। जिंक के लिए विभाग ने उदयपुर
और मेरठ की दो फर्मो को ही अधिकृत किया हुआ है, जबकि इन क्षेत्रों में
मनचाही फर्मो से इसकी खरीद की गई।
मिशन के तहत रबी में त्वरित दलहन उत्पाद कार्यक्रम में कृषि विभाग की ओर
से चिह्न्ति ब्लॉकों में कृषि आदान (एग्रीकल्चर इनपुट्स) बांटे जाने में
स्थानीय स्तर पर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
इस कार्यक्रम में चने की वृहद फसल प्रदर्शन में शामिल किए गए 6 जिलों के
किसानों को बांटने के लिए 18.90 करोड़ के कीटनाशक और अन्य कृषि आदानों की
सप्लाई का काम बिना टेंडर ही निजी फर्मो को दे दिया। किसानों को आदान
बांटने का काम क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के जरिए किया जा रहा है, लेकिन
समितियों को आदान सप्लाई का काम निजी फर्मो को बिना टेंडर ही दे दिया गया।
नियमानुसार उर्वरक और कीटनाशी की आपूर्ति राजफेड के जरिए की जानी थी।
किसानों को बांटे जाने वाले किट में उर्वरक, जिंक, कीटनाशकों की गुणवत्ता
और कीमत पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ए 3 पी योजना में चने की बड़े स्तर पर
खेती के लिए चिह्न्ति किसानों को आईएनएम आईपीएम किट निशुल्क दिए जाते हैं।
किट के लिए प्रति हेक्टेयर हर किसान को 5400 रुपए के उर्वरक, जिंक, जिप्सम
और कीटनाशक दिए जा रहे हैं। इस योजना में चयनित ब्लॉक के हर किसान को
10,800 रुपए तक का आदान निशुल्क दिया जाना है। 6 जिलों में 35000 हेक्टेयर
क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 5400 रुपए के हिसाब से आदान की सप्लाई की जानी
है।
ये हैं गड़बड़ियां
क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को जारी खाद और कीटनाशकों के अनुज्ञा पत्रों
में जिस कंपनी का माल खरीदा है, उस तारीख में उसका अनुमति प्रमाण पत्र और ओ
फार्म ही अंकित नहीं है। चने के वृहद प्रदर्शन के लिए 6 जिलों में चिन्हित
ब्लॉकों में एक ही तरह के कीटनाशक और कृमिनाशक बांटे जा रहे हैं, जबकि इन
ब्लॉकों की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं। क्रय विक्रय
सहकारी समितियों की ओर से बिना टेंडर ही निजी फर्मो से माल खरीद कर देना।
चिन्हित ब्लॉकों में पहले मिट्टी परीक्षण नहीं किया गया और इसके बिना ही
खाद, उर्वरक और कीटनाशी दिया जा रहा है। जिंक सल्फेट में कई समितियों में
जिंक 21 प्रतिशत और 33 प्रतिशत का स्टॉक है। जिंक के लिए विभाग ने उदयपुर
और मेरठ की दो फर्मो को ही अधिकृत किया हुआ है, जबकि इन क्षेत्रों में
मनचाही फर्मो से इसकी खरीद की गई।