अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट के
जज के आगे एक दलित वादी ने ऐसी शर्त रखी की उनको गुस्सा आ गया। गुस्से में
जज ने दलित व्यक्ति का केस ही खारिज कर दिया।
अहमदाबाद के रहनेवाले
एक दलित अजीत मकवाना ने क्लास तीन और क्लास चार पर होने वाली 60 प्रतिशत
ब्राह्मण की नियुक्तियों पर एतराज जता गुजरात हाईकोर्ट में केस दायर किया
था। मुकदमे के सिलसिले में जब वह कोर्ट पहुंचा तो उसे पता चला कि उसके
मुकदमे का निर्णय देने वाला जज भी ब्राह्मण है तो उसने अपने वकील ए.एम
चौहान से कहा कि जज जब खुद ब्राह्मण है तो मेरा केस क्या सुलझाएगा। और दलित
व्यक्ति ने एक दलित जज को निर्णय सुनाने के मांग की।
वकील ने अपने
क्लाइंट की बात को जब जज आर.आर त्रिपाठी के समक्ष रखा तो वह इस बात पर
नाराज हो गए और गुस्से में उसने अजीत का केस खारिज कर दिया।
जज के आगे एक दलित वादी ने ऐसी शर्त रखी की उनको गुस्सा आ गया। गुस्से में
जज ने दलित व्यक्ति का केस ही खारिज कर दिया।
अहमदाबाद के रहनेवाले
एक दलित अजीत मकवाना ने क्लास तीन और क्लास चार पर होने वाली 60 प्रतिशत
ब्राह्मण की नियुक्तियों पर एतराज जता गुजरात हाईकोर्ट में केस दायर किया
था। मुकदमे के सिलसिले में जब वह कोर्ट पहुंचा तो उसे पता चला कि उसके
मुकदमे का निर्णय देने वाला जज भी ब्राह्मण है तो उसने अपने वकील ए.एम
चौहान से कहा कि जज जब खुद ब्राह्मण है तो मेरा केस क्या सुलझाएगा। और दलित
व्यक्ति ने एक दलित जज को निर्णय सुनाने के मांग की।
वकील ने अपने
क्लाइंट की बात को जब जज आर.आर त्रिपाठी के समक्ष रखा तो वह इस बात पर
नाराज हो गए और गुस्से में उसने अजीत का केस खारिज कर दिया।