अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा
बढ़ाने को लेकर चंदावली में चल रही किसानों की पंचायत 43 वें दिन भी जारी
रही। धरने पर बैठे किसानों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी बनी हुई है।
उनका कहना है कि अगर किसानों की इसी तरह अनदेखी होती रही तो वे आने वाले
दिनों में सबसे पहले सत्ता पक्ष के नेताओं का बहिष्कार किया जा सकता है।
इसके बाद किसान इस आंदोलन को और भी तेज कर देंगे।
नहर पार किसानों की ओर से शुरू हुए आंदोलन के बाद चंदावली में किसानों का
आंदोलन शुरू हुआ। 30 सितंबर से ये किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे
हैं। बावजूद अभी तक सत्ता पक्ष के किसी भी नेताओं ने इनका दुखड़ा नहीं
सुना। इससे किसानों में इन नेताओं के खिलाफ भारी नाराजगी बनी हुई है।
बुधवार को धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि जनता से सत्ता में बैठे नेताओं
को इसलिए चुनकर भेजा था, ताकि वे किसान व आम जनता की समस्याओं का समाधान कर
सकें, लेकिन नेताओं को जनता के हितों की कोई परवाह नहीं। उन्होंने चेतावनी
भरे लहजे में कहा है कि या तो सरकार उनकी मांगों को मान लें, अन्यथा सरकार
को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उधर, बैठक के दौरान किसान जन्तर
मंतर पर किए जाने वाले प्रदर्शन को लेकर तैयारियां करते नजर आए। किसान नेता
एवं चंदावली गांव की महिला सरपंच रचना शर्मा के नेतृत्व में देर शाम तक एक
बैठक चली। जिसमें दिल्ली कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गांव वाइज जा रही
कमेटियों के कार्यो की समीक्षा की।
उधर, वरिष्ठ एडवोकेट शिवदत्त वशिष्ठ, नहर पार किसान संघर्ष समिति के नेता
सत्यपाल नरवत व पलवल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बुधवार को कई गांवों
का दौरा कर दिल्ली में आयोजित जंतर-मंतर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए
ज्यादा से ज्यादा की संख्या में ग्रामीणों से पहुंचने की अपील की।