भोपाल. मप्र राज्य कृषक आयोग ने
प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए
जैविक कृषि को बढ़ावा देने की अनुशंसा की है। साथ ही कृषि को लाभ का धंधा
बनाने के लिए उसे सीधे बाजार से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की
जरूरत भी जताई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि
खेती की मुख्य समस्या रासायनिक उर्वरकों का असंतुलित उपयोग है। किसान
रासायनिक उर्वरकों की उपयोगिता को जाने और समझे बगैर उनका अंधाधुंध
इस्तेमाल करते हैं। इससे लाभ होने के बजाय फसलों और जमीन दोनों का नुकसान
ज्यादा हो रहा है। इससे बचने के लिए उसने प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा
देने की अनुशंसा की है। लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि जैविक खेती के
क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।
किसान को मार्केट से जोड़ें : आयोग ने यह भी कहा है कि वर्तमान में
कृषि के लाभकारी नहीं होने की एक प्रमुख वजह यह है कि किसान खेती को एक
प्रोडक्ट नहीं मानकर चलताऊ ढंग से कृषि कार्य करता है। कृषि को लाभकारी
बनाना है तो कृषकों को बाजार की मांग आधारित उत्पादन की ओर प्रेरित करना
होगा। बिचौलियों को हटाकर उन्हें सीधे उपभोक्ता मार्केट से जोड़ना होगा।
दलहन विकास : आयोग ने दलहन उत्पादन में देश में मप्र का प्रमुख
स्थान होने के बावजूद समुचित विकास नहीं होने पर चिंता जताई है। आयोग ने
अपनी सिफारिश में दलहन की अल्प अवधि वाली किस्मों का विकास करने को कहा है।
साथ ही अन्य फसलों के साथ इसका समावेश करने की भी अनुशंसा की है।
हमारा काम किसानों के बीच जाकर रिपोर्ट तैयार करना था। हमने रिपोर्ट
मुख्यमंत्री को सौंप दी है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि रिपोर्ट की ज्यादा
से ज्यादा सिफारिशों को अमल में लाने की कोशिश की जाएगी।
प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए
जैविक कृषि को बढ़ावा देने की अनुशंसा की है। साथ ही कृषि को लाभ का धंधा
बनाने के लिए उसे सीधे बाजार से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की
जरूरत भी जताई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि
खेती की मुख्य समस्या रासायनिक उर्वरकों का असंतुलित उपयोग है। किसान
रासायनिक उर्वरकों की उपयोगिता को जाने और समझे बगैर उनका अंधाधुंध
इस्तेमाल करते हैं। इससे लाभ होने के बजाय फसलों और जमीन दोनों का नुकसान
ज्यादा हो रहा है। इससे बचने के लिए उसने प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा
देने की अनुशंसा की है। लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि जैविक खेती के
क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।
किसान को मार्केट से जोड़ें : आयोग ने यह भी कहा है कि वर्तमान में
कृषि के लाभकारी नहीं होने की एक प्रमुख वजह यह है कि किसान खेती को एक
प्रोडक्ट नहीं मानकर चलताऊ ढंग से कृषि कार्य करता है। कृषि को लाभकारी
बनाना है तो कृषकों को बाजार की मांग आधारित उत्पादन की ओर प्रेरित करना
होगा। बिचौलियों को हटाकर उन्हें सीधे उपभोक्ता मार्केट से जोड़ना होगा।
दलहन विकास : आयोग ने दलहन उत्पादन में देश में मप्र का प्रमुख
स्थान होने के बावजूद समुचित विकास नहीं होने पर चिंता जताई है। आयोग ने
अपनी सिफारिश में दलहन की अल्प अवधि वाली किस्मों का विकास करने को कहा है।
साथ ही अन्य फसलों के साथ इसका समावेश करने की भी अनुशंसा की है।
हमारा काम किसानों के बीच जाकर रिपोर्ट तैयार करना था। हमने रिपोर्ट
मुख्यमंत्री को सौंप दी है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि रिपोर्ट की ज्यादा
से ज्यादा सिफारिशों को अमल में लाने की कोशिश की जाएगी।