खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए व्यापक नीति की जरुरत

नई दिल्ली। उद्योग जगत का कहना है कि देश के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
में आने वाले समय में 40 प्रतिशत की धमाकेदार वृद्धि संभावनाओं के बावजूद
क्षेत्र में व्यापक राष्ट्रीय नीति और उपयुक्त ढांचागत सुविधाओं सहित कई
तरह की चुनौतियां खडी हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल [फिक्की] द्वारा इस संबंध में किए गए एक
सर्वेक्षण में विभिन्न पक्षों ने 15 तरह की चुनौतियां गिनाई हैं जिनका
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सामना कर रहा है और मांग की है कि क्षेत्र की
समस्याओं से निपटने के लिए एक अंतर मंत्रालई कार्यसमूह गठित होना चाहिए।
उद्योगों ने कहा है कि क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं की भारी तंगी है।
आपूर्ति श्रृंखला छितराई हुई है उसे एक सूत्र में बांधने की जरुरत है। इसके
अलावा एक व्यापक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए।

सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2015 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 40
प्रतिशत वृद्धि की संभावना है। इस दौरान उद्योग का कारोबार वर्तमान 181 अरब
डालर से बढकर 258 अरब डालर तक पहुंचने की उम्मीद है। खाद्य प्रसंस्करण
उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] में 21 प्रतिशत का योगदान रखता
है। ऐसे में इसकी समस्याओं को दूर किया जाना चाहिए।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याओं को दूर किया जाना जरुरी है। इससे
उपभोक्ता, उद्योग और कृषि क्षेत्र को एक सूत्र में बांधने में मदद मिलेगी।
विकसित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम
दिलाएगा, कृषि उत्पादों को खराब होने से रोकेगा, मूल्य वर्धन बढेगा, कृषि
क्षेत्र में विविधता को बढावा मिलेगा और सबसे बडा काम यह होगा कि रोजगार के
अवसर बढेंगे।

सर्वेक्षण के नतीजों में 34.46 प्रतिशत ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के
लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति की जरुरत पर जोर दिया है। कुशल और अनुभवी
श्रमबल की कमी का 25.53 प्रतिशत ने जिक्र किया है जबकि 44.25 प्रतिशत ने
क्षेत्र में उपयुक्त ढांचागत सुविधाओं की तंगी बताई। समय पर कर्ज की सुलभता
और बाजार के बारे में जानकारी का अभाव भी इसमें शामिल है। सर्वेक्षण में
28.08 प्रतिशत ने कहा है कि क्षेत्र की केंद्र और राज्यों की नीतियों में
तालमेल का अभाव है। इसके अलावा 28.51 प्रतिशत ने खाद्य सुरक्षा कानून की
कमी भी बताई है। इसमें कराधान और भार एवं तोल कानून और पैकेजिंग नियमों की
कमजोरी सामने आई है। सर्वेक्षण में 250 कंपनियों से संपर्क किया गया है और
125 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *