पटना जिला परिषद से कार्यान्वित होने वाली संपूर्ण रोजगार योजना, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, बीआरजीएफ और 12 वें वित्त आयोग की योजनाओं में गड़बड़ी का परत दर परत खुलासा हो रहा है। आडिट ने खुलासा किया है कि वर्ष 2005-06 से लेकर 2008-09 तक 825 योजनाएं अधूरी है। जिसका कोई हिसाब नहीं मिल रहा है। आडिट जांच में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2005 से 2009 तक जिला परिषद के माध्यम से 1330 योजनाएं स्वीकृत हुयी है। इनके मद में अग्रिम राशि का भुगतान हुआ लेकिन 850 योजनाएं अधूरी छोड़ दी गयी। जांच में अधूरी योजनाओं का कोई हिसाब जिप के पास उपलब्ध नहीं है। जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह उप-विकास आयुक्त अनिल कुमार ने आडिट जांच में पकड़ी गयी गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुये बीते 17 जुलाई को पत्र लिखकर जिला परिषद से रिपोर्ट तलब की। हालांकि खबर लिखने तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुयी। जिला परिषद में विभिन्न विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आये अभियंता योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अग्रिम राशि ले बिना काम पूरा कराये दूसरे विभागों में जा चुके हैं। परिषद ने कभी अग्रिम राशि के विरूद्ध कार्य का हिसाब तक नहीं मांगा। अब सरकार द्वारा एसी विपत्र के विरूद्ध डीसी विपत्र जमा करने, अग्रिम के विरूद्ध कार्य का हिसाब तथा आडिट के आपत्तियों पर गौर किया तो जिला परिषद की योजनाएं भी जांच के दायरे में आ गई। जिला परिषद कैडर के भी अभियंता अग्रिम लेकर हिसाब नहीं देने तथा एक ही योजना पर दो-दो बार राशि निकासी के मामले में फंसे हैं। हाल यह कि वर्ष 2006 में संपतचक प्रखंड के लिए स्वीकृत कई योजनाओं का तो स्थल बदल कर राशि की निकासी हुयी है। जिला परिषद के पैसे से शहीद द्वार बनाने तथा बाढ़, फतुहा और बख्तियारपुर डाकबंगला मरम्मत मद में राशि गबन का दबा मामला फिर जिंदा हो गया
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