मुंबई। शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी पर बल देते हुए केंद्रीय मानव
संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि उन्होंने देश में 2020 तक
30 फीसदी छात्रों को विश्वविद्यालय स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
सिब्बल ने यहां भारत अमेरिकी सोसायटी द्वारा उच्च शिक्षा पर
भारत-अमेरिका विषय पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि मौजूदा दर
केवल 12.4 फीसदी है। फिलहाल देश में 500 विश्वविद्यालय और 25000
महाविद्यालय हैं। हमें और चार करोड़ 60 लाख बच्चों को कॉलेज शिक्षा मुहैया
कराने के लिए 800 और विश्वविद्यालयों एवं 35-40 हजार महाविद्यालयों की
आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में करीब 22 करोड़ बच्चे स्कूल जाते हैं,
जिनमें से केवल एक करोड़ 40 लाख बच्चे कालेज पहुंच पाते हैं।
सिब्बल ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था ऐसे आंकड़ों के साथ टिकी नहीं रह
सकती है। केवल 40 प्रतिशत बच्चे ही 12 वीं कक्षा पास कर पाते हैं। शिक्षा
के क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम की आवश्यकता पर बल देते हुए सिब्बल ने कहा
कि देश इस क्षेत्र में इस तरह के खंडित प्रयास से आगे नहीं बढ़ सकता है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि विस्तार के बाद भी केवल छह करोड़
बच्चे ही कालेज और विश्वविद्यालय जा पाते हैं। शेष के बारे में क्या, हमें
उन्हें भी सशक्त बनाना है। बिना गुणवत्ता के विस्तार और समावेशन भी किस काम
के हैं। सिब्बल ने कहा कि सरकार रोजगारोन्मुखों अवसर पैदा करने के लिए 12
वीं के स्तर पर शीघ्र ही राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा प्रारूप लागू करेगी।
राज्य सरकारों से इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने के लिए कहा जाएगा और उसका
मानकीकरण राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा।
उन्होंने शिक्षाविदों से कुछ अलग सोचने की अपील करते हुए कहा कि
व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं एकेडमिक के बीच तालमेल स्थापना करना जरूरी है।
उनका कहना था कि यदि आउटपुट बेहतर होगा तो भारत शिक्षा के क्षेत्र में
ज्यादा प्रतिस्पर्धी होगा। उन्होंने कहा कि यह कहा जाता है कि एक लाख छात्र
उच्च शिक्षा ग्रहण करने विदेश जाते हैं, लेकिन जहां अमेरिका में करीब 75
हजार इंजीनियर हैं, वहीं भारत में अकेले बेंगलूर में 65 हजार इंजीनियर हैं।
उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम और प्रविधि शिक्षकों पर छोड़ दी जानी चाहिए तथा
विश्वविद्यालयों को पाठ्यचर्या चुनने दिया जाना चाहिए।