रांची। रोजगार गारंटी कानून को लागू कराने के मामले में झारखंड देश के
दस अव्वल राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। कई मानकों पर प्रदेश का
स्थान छठा व आठवां रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी
योजना के जुलाई माह में आए ताजा सर्वेक्षण से यह साफ हुआ है कि रोजगार
उपलब्ध कराने के मामले में राज्य का देश में छठा स्थान है। वह भी तब जबकि
दूसरे राज्यों की तुलना में यहां की आबादी भी कम है और काम मांगने वालों की
संख्या भी। इसके अलावा मानव दिवस सृजित करने के मामले में प्रदेश को
आठवां, राशि खर्च करने के मामले में आठवां, उपलब्ध राशि के विरुद्ध हुए
खर्च में चौथा व ली गई योजनाओं को पूरा करने के मामले में प्रदेश को छठा
स्थान मिला है। जाबकार्ड वितरण की प्रगति भी उल्लेखनीय रही है। सूबे के 42
लाख निबंधित परिवारों में 37 लाख परिवारों को जॉब कार्ड दिये गये। यह
उपलब्धि लगभग 89 प्रतिशत की है।
आंकड़े बताते हैं कि चौदह जुलाई तक मनरेगा के तहत सूबे में 75767
योजनाएं पूरी की गई। वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए 218585 योजनाएं ली गई
थीं, जिनमें जुलाई माह तक 2532 योजनाएं पूरी हो गई। यह उपलब्धि 1.16
प्रतिशत की रही, जो कि राष्ट्रीय औसत 0.56 से लगभग दोगुना है। इस मामले में
पहला स्थान पश्चिम बंगाल, दूसरा केरल, तीसरा हरियाणा, चौथा उड़ीसा तथा
पांचवां स्थान गुजरात को मिला है।
राशि खर्च करने के मामले में सूबे ने तीस प्रतिशत राशि खर्च कर चौथा
स्थान प्राप्त किया, जो कि राष्ट्रीय औसत 16.42 से काफी ऊपर है। इस मामले
में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ व गोवा का स्थान झारखंड से ऊपर रहा। प्रत्येक
परिवार को रोजगार देने के मामले में त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गोवा,
आंध्रप्रदेश, राजस्थान के बाद झारखंड ने छठा स्थान पाया है। यहां काम
मांगने वाले 699263 लोगों को चालू वित्तीय वर्ष में रोजगार उपलब्ध कराया
गया।
उपलब्ध राशि के विरुद्ध खर्च- चौथा स्थान
योजनाओं को पूरी करने में- छठा स्थान
परिवारों को काम उपलब्ध कराने में- छठा स्थान
मानव दिवस के सृजन में- आठवां स्थान