नई दिल्ली। बीते महीने पेट्रोल के मूल्य में की गई वृद्धि और बारिश के
कारण परिवहन में आई बाधा के चलते दो हफ्ते तक फिसलने के बाद फिर बढ़ गई
है। तीन जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान खाने-पीने की चीजों के थोक
मूल्यों पर आधारित यह मुद्रास्फीति दर 12.81 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे
पूर्व सप्ताह में यह 12.63 प्रतिशत पर थी। खाद्य मुद्रास्फीति की दर में इस
बढ़ोतरी के बाद रिजर्व बैंक [आरबीआई] अपनी ब्याज दरें बढ़ा सकता है। 27
जुलाई को आरबीआई मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा पेश करेगा।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान चावल, गेहूं, दाल और प्याज के दाम 3.80
प्रतिशत तक बढ़ गए। हालांकि आलू व फल की थोक कीमतों में मामूली कमी आई।
विशेषज्ञों को खाद्य मुद्रास्फीति की दर में इस बढ़त की पहले से ही उम्मीद
थी। उनके मुताबिक पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी का असर तो रोजमर्रा
की खाने-पीने की वस्तुओं पर पड़ना ही था। वैसे वह यह भी मानते हैं कि अभी
पेट्रो मूल्यवृद्धि का पूरा असर नहीं दिखा है। इसके लिए कुछ हफ्तों का और
इंतजार करना होगा।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को उम्मीद जताई थी कि खरीफ फसल
के आने के बाद खाद्य महंगाई की दर में कुछ कमी देखने को मिलेगी। साप्ताहिक
आधार पर ईधन और बिजली वर्ग की महंगाई की दर 14.27 प्रतिशत रही। इससे पूर्व
सप्ताह में ईधन कीमतों में वृद्धि के चलते ईधन वर्ग की मुद्रास्फीति की दर
18.02 प्रतिशत तक चली गई थी।