नरेगा जैसी शहरी रोजगार योजना का प्रस्ताव

नई दिल्ली। सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [नरेगा]
की तरह ही एक शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू करने और न्यूनतम मजदूरी की
वैधानिक मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा है।

यह प्रस्ताव सरकार की रोजगार पर जनता को पहली सालाना रिपोर्ट में
वर्णित अल्पकालिक रणनीतियों और लक्ष्यों के तहत है। यह प्रस्ताव वंचित
लोगों के लिए रोजगार सृजित करने तथा रोजगार को बढ़ावा देने पर केंद्रित
होगा। वर्तमान में केंद्र की ओर से न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा करने के लिए
राज्यों पर कोई बाध्यता नहीं है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में, अर्थव्यवस्था में
नौ फीसदी की वृद्धि के मुकाबले रोजगार में कम से कम 2.5 फीसदी की वृद्धि दर
हासिल करने पर जोर दिया गया है।

सरकार ने रिपोर्ट में बताए गए प्रमुख मुद्दों पर लोगों से सुझाव और
प्रतिक्रिया मांगी है। खास कर उन मुद्दों पर जो, युवाओं महिलाओं तथा वंचित
समूहों के रोजगार से संबंधित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेगा कार्यक्रम के तहत सभी निर्धन परिवारों
को 100 दिन के रोजगार की गारंटी तथा सामाजिक सुरक्षा देने, काम के हालात
में सुधार करने और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित
कर्मचारियों के समकक्ष मजदूरी के प्रावधान का लाभ मिलना चाहिए।

रिपोर्ट में, दीर्घकालिक लक्ष्यों के तहत संगठित क्षेत्र में रोजगार
परिदृश्य में वृद्धि और खास तौर पर निर्धन प्रदेशों में वंचित समूहों के
लिए नियमित रोजगार को बढ़ाना शामिल हैं।

इसमें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों
के व्यापक कवरेज की, श्रम नियामकों को तर्कसंगत और सरल बनाने की तथा श्रम
सुधारों का दायरा विस्तृत करने की मांग की गई है।

रिपोर्ट में व्यापक कौशल आकलन प्रक्रिया और विश्वसनीय तथा स्वतंत्र
मान्यता एवं प्रमाणन प्रक्रिया की वकालत की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *