छाया रहेगा खाद्य सुरक्षा विधेयक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गरीबों को तीन रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं व चावल देने की कांग्रेस की चुनावी घोषणा को कानूनी रूप देने से पहले सरकार इसका पूरा श्रेय पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को देना चाहती है। इसीलिए इस अहम मसले पर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद [एनएसी] की राय मांगी गई है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली एनएसी की एक जुलाई को होने वाली पहली बैठक में खाद्य सुरक्षा विधेयक के ही छाए रहने की संभावना है।

खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रस्तावित प्रावधानों को लेकर एनएसी के सदस्यों ने पिछले एक सप्ताह के दौरान विभिन्न मंत्रालयों के उच्चाधिकारियों से गहन विचार-विमर्श किया है। पिछले सप्ताह ही उच्च अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह [ईजीओएम] में प्रणब मुखर्जी ने इस मसले पर एनएसी का रुख जानने के बाद ही आगे बढ़ने की बात कही थी।

सलाहकार परिषद की खाद्य सुरक्षा विधेयक पर यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब खाद्य वस्तुओं में महंगाई की दर लगभग 17 फीसदी पहुंच चुकी है। प्रस्तावित विधेयक में गरीबों को हर महीने तीन रुपये किलो के हिसाब से 25 किलो चावल अथवा गेहूं देने का प्रावधान है। सोनिया गांधी ने सरकार को अनाज की मात्रा को बढ़ाकर 35 किलो करने का सुझाव दिया है। इसी तरह गरीबों की संख्या का सही आकलन करने को भी कहा है। सोनिया ने सरकार से गरीबों को अनाज के साथ दाल व तेल के वितरण की भी बात कही है।

इन सुझावों के बाद विधेयक को लेकर मुश्किलें बढ़ गई हैं। ईजीओएम ने इसके लिए योजना आयोग को वास्तविक संख्या का अनुमान लगाने को कहा है। योजना आयोग ने तेंदुलकर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर बीपीएल परिवारों की संख्या 8.10 करोड़ बताई है जबकि 35 किलो प्रति परिवार अनाज देने के प्रस्ताव पर खाद्य मंत्रालय ने हिचकिचाहट दिखाई है। दाल व खाद्य तेल की मांग को पूरा करने में आयात निर्भरता इसके आड़े आ सकती है। इन सारे तथ्यों को जांचने के लिए एनएसी ने पिछले सप्ताह खाद्य सचिव, ग्रामीण विकास सचिव और योजना आयोग के सचिवों से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त कर ली है।


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *