नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। देश में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 19
करोड़ है। इस वर्ग से संबंधित सरकारी कामकाज के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक
मामलों के मंत्रालय में 93 पद स्वीकृत हैं लेकिन इतने अधिकारी व कर्मचारी
भी केंद्र सरकार को मिल नहीं पा रहे हैं। इनमें से 27 पद अब भी खाली पड़े
हैं।
अल्पसंख्यकों, खास तौर से मुसलमानों की तालीम, तरक्की, सामाजिक व
आर्थिक स्थिति पर खास फोकस के लिए ही केंद्र सरकार ने चार साल पहले
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का अलग से गठन किया था। इस मंत्रालय में
स्वीकृत पदों को भरने में सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी से लग सकता है कि
उनमें से 27 पद अब तक खाली हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन उर्दू
भाषा के संवर्द्धन के लिए अलग से एक परिषद है, लेकिन अल्पसंख्यक मामलों
के मंत्रालय को उर्दू के लिए एक सहायक निदेशक का अधिकारी नहीं मिल पा रहा
है। बताते चलें कि मुस्लिमों की तालीम का मसला अब भी मानव संसाधन विकास
मंत्रालय के ही पास है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में उर्दू टाइपिस्ट का एक पद भी है,
लेकिन खाली। यही नहीं, संयुक्त सचिव के तीन पदों में से भी एक खाली है।
सूत्र बताते हैं कि दो अधिकारियों की नियुक्ति भी हुई, लेकिन उन्होंने इस
मंत्रालय में काम करना मुनासिब नहीं समझा। लिहाजा, एक ने तो जम्मू-कश्मीर
में अपने मनमाफिक पदस्थापना ले ली, जबकि मध्य प्रदेश कैडर के दूसरे अफसर ने
इस मंत्रालय में पोस्टिंग के बाद वहां कार्यभार संभालने से मना कर दिया।
दस अवर सचिवों में से पांच, आठ सेक्शन आफीसर में से चार और आठ स्टेनो [डी
ग्रेड] में से छह के पद खाली पड़े हैं। सीनियर इन्वेस्टीगेटर व
इन्वेस्टीगेटर के चार पदों के अलावा सीनियर हिंदी अनुवादक का एक पद भी खाली
है। जबकि 14 में से चार चपरासियों के पद भी रिक्त हैं। गौरतलब है कि देश
में अल्पसंख्यकों की आबादी पर खास फोकस के लिए प्रधानमंत्री का 15 सूत्रीय
कार्यक्रम चल रहा है। अल्पसंख्यक बहुल 90 जिलों में विभिन्न योजनाओं के तहत
विकास कार्य हो रहे हैं।