प्रस्तावित पोस्को प्रोजेक्ट के विरोध में सीपीआई, सीपीएम, फारवर्ड ब्लाक,
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनतादल, जेएमएम की ओर से आज संयुक्त धरना
प्रदर्शन किया गया। स्थानीय पीएमजी चौक पर आयोजित प्रर्दशन में हिस्सा ले
रहे उपरोक्त राजनैतिक दलों के नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार
प्रस्तावित पोस्को प्रोजेक्ट के लिए स्थानीय वासिंदों पर दबाव डाल रही है।
ढिंकिया इलाके के लोगों पर पुलिसिया अत्याचार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए
नेताओं ने सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना की। यहां यह बताना उचित
होगा कि पोस्को प्रोजेक्ट को लेकर सपक्ष और विपक्ष आन्दोलनकारियों के मध्य
कई बार संघर्ष हो चुका है। पिछले दिनों पुलिस ने पोस्को के विरोध में
प्रदर्शन कर रहे ग्रामिणों पर लाठी चार्ज और गोलियां चलायीं थी। इस मामले
में स्थानीय सांसद विभू प्रसाद तराई की गिरफ्तारी भी हुई थी। आन्दोलनरत
नेताओं की मांग है कि मुख्यमंत्री पोस्को मामले में खुद हस्तक्षेप करते
हुए समाधान का रास्ता निकालें। इन नेताओं का आरोप है कि पिछले 5 साल से
इलाके के लोग आन्दोलन कर रहे है। मगर मुख्यमंत्री इस पर ध्यान नहीं दे रहे
है। उनका आरोप है कि संसदीय व्यवस्था में जनता की आवाज सुने बगैर किसी तरह
का निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। इन नेताओं के धरना के बाद मुख्यमंत्री ने
11 जून को बात के लिए समय निर्धारित किया है।
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनतादल, जेएमएम की ओर से आज संयुक्त धरना
प्रदर्शन किया गया। स्थानीय पीएमजी चौक पर आयोजित प्रर्दशन में हिस्सा ले
रहे उपरोक्त राजनैतिक दलों के नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार
प्रस्तावित पोस्को प्रोजेक्ट के लिए स्थानीय वासिंदों पर दबाव डाल रही है।
ढिंकिया इलाके के लोगों पर पुलिसिया अत्याचार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए
नेताओं ने सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना की। यहां यह बताना उचित
होगा कि पोस्को प्रोजेक्ट को लेकर सपक्ष और विपक्ष आन्दोलनकारियों के मध्य
कई बार संघर्ष हो चुका है। पिछले दिनों पुलिस ने पोस्को के विरोध में
प्रदर्शन कर रहे ग्रामिणों पर लाठी चार्ज और गोलियां चलायीं थी। इस मामले
में स्थानीय सांसद विभू प्रसाद तराई की गिरफ्तारी भी हुई थी। आन्दोलनरत
नेताओं की मांग है कि मुख्यमंत्री पोस्को मामले में खुद हस्तक्षेप करते
हुए समाधान का रास्ता निकालें। इन नेताओं का आरोप है कि पिछले 5 साल से
इलाके के लोग आन्दोलन कर रहे है। मगर मुख्यमंत्री इस पर ध्यान नहीं दे रहे
है। उनका आरोप है कि संसदीय व्यवस्था में जनता की आवाज सुने बगैर किसी तरह
का निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। इन नेताओं के धरना के बाद मुख्यमंत्री ने
11 जून को बात के लिए समय निर्धारित किया है।