नई
दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह], नाम राष्ट्र का, काम महाराष्ट्र का। देश
को दालों और खाद्य तेलों की किल्लत से बचाने की केंद्र सरकार की
दलहन-तिलहन बीज गांव योजना का असल क्रियान्वयन कृषिमंत्री शरद पवार के गृह
राज्य में होगा। योजना के तहत सात राज्यों के जिन असिंचित गांवों का चयन
किया गया है, उनमें सर्वाधिक 14,400 गांव महाराष्ट्र के हैं। दूसरी ओर
उत्तर प्रदेश के केवल 5,400 गांवों को शामिल किया गया है। जबकि मध्य
प्रदेश के 10,200 तथा राजस्थान के 11,400 गांवों का चयन हुआ है।
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने चालू वित्त वर्ष 2010-11 के आम बजट भाषण
में दलहन -तिलहन बीज गांव विकसित करने की योजना का जिक्र किया था। इस
संबंध में कृषि मंत्रालय ने विस्तृत मसौदा तैयार किया है। योजना के तहत
सात राज्यों के 60 हजार असिंचित गांवों पर 300 करोड़ रुपये खर्च किये
जाएंगे। प्रत्येक दलहन-तिलहन बीज गांव पर 50 हजार रुपये की राशि खर्च की
जाएगी। यह राशि दलहन समितियों के मार्फत दी जाएगी। एक दलहन समिति में 10
गांव शामिल होंगे। दलहन समितियों को टै्रक्टर समेत अन्य आधुनिक कृषि
यंत्रों से लैस किया जाएगा।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक दलहन समितियों को बांटने के लिए
थोक में 6,000 ट्रैक्टर व खेती के अन्य उपकरणों की खरीद की जाएगी। इसके
अलावा गांव के लोगों को अच्छी प्रजाति के फाउंडेशन बीज और उर्वरक उपलब्ध
कराए जाएंगे। इन गांवों में तैयार बीजों को फिर पूरे देश में बुवाई के लिए
वितरित किया जाएगा।
दलहन-तिलहन बीज गाव योजना के लिए चयनित गाव
राज्य गावों की संख्या , प्रस्तावित आवटन [करोड़ रुपये]
आध्र प्रदेश 6,600 , 33.00
गुजरात 5,400, 27.00
कर्नाटक 6,600, 33.00
महाराष्ट्र 14,400, 72.00
मध्य प्रदेश 10,200, 51.00
राजस्थान 11,400, 57.00
उत्तर प्रदेश 5,400, 27.00
कुल 60,000, 300.00