होती रही शादी, सिसकता रहा बचपन

औरंगाबाद।
कल तक दोनों साथ खेलते थे। वर्तमान और भविष्य की चिंता किए बगैर दोनों
अपने बचपन में मस्त थे। उनको तो यह भी नहीं पता था कि बड़े होने पर करेंगे
क्या? ऐसे में उनकी शादी भी कर दी गई। हम बात कर रहे हैं 7 वर्षीय बच्ची
फोटईयां की। जिसकी शादी उसे बोझ समझकर उसके ही हमउम्र दरोगा से कर दी गई।

हैरत की बात है शादी थाने के पास ही होती रही, लेकिन मौके पर न तो कोई
अधिकारी पहुंचा और न बाल विवाह पर हो-हल्ला मचाने वाले। घटना बिहार के
औरंगाबाद जिले की है। अरवल जिले में करपी निवासी बबन गुलगुलिया और अरविंद
गुलगुलिया निवासी बारुण गिलहरी की पूंछ को इकट्ठा कर कोलकाता में बेचने का
काम करते हैं। दोनों के परिवार टेंट लगाकर हसपुरा में रहते है। बबन ने
अपनी सात वर्षीय बेटी फोटईयां की शादी अरविंद के बेटे दरोगा से तय कर दी।
शनिवार रात जब फोटईयां को हल्दी लगाई जा रही थी तो उसे पता नहीं था कि यह
क्या हो रहा है। वह हल्दी लगाते समय रो पड़ी, लेकिन अपनी खुशी में मगन
मां-बाप ने उसके आंसुओं की अनदेखी कर दी। सुबह शादी के जोड़े में दरोगा व
फोटईयां को सजाकर शादी के मंडप में बैठाया गया। बच्चों की शादी देखने के
लिए भीड़ उमड़ पड़ी। जब तक दरोगा व फोटईयां की शादी होती रही भीड़ जमी रही।

बचपन में ही फोटईयां की शादी के सवाल पर दुल्हन की मां कैली देवी
बोलीं, बोझ के कारण हमने कम उम्र में ही बेटी की शादी कर दी। उनकी मानें
तो 18 से 20 की उम्र में शादी करने पर अधिक खर्च होता है।

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