शिक्षा के व्यावसायीकरण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

नई
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में शिक्षा के बढ़ते व्यावसायीकरण पर
गुरूवार को दुख जताते हुए कहा कि जब आप समझौता करना शुरू कर देते हैं तो
यह अवैध निर्माण को नियमित करने जैसा होता है।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की अवकाशकालीन
पीठ ने कहा कि हम सभी मानते हैं कि शिक्षा व्यवसाय बन गई है, बल्कि
व्यवसाय से भी कुछ ज्यादा बन गई है।

शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र में 2010-11 के लिए कुछ आयुर्वेदिक
कॉलेजों को मंजूरी देने पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन को फटकार
लगाते हुए यह बात की।

परिषद ने ही पहले इस आधार पर कथित कॉलेजों को मंजूरी देने से इनकार कर
दिया था कि वे सरकार द्वारा निर्दिष्ट जरूरी मानकों को पूरा नहीं करते।
कॉलेजों ने कथित तौर पर परिषद में झूठे हलफनामे दाखिल कर सभी जरूरी मानकों
को पूरा करने का दावा किया।

पीठ ने परिषद की तरफ से आए वकील से कहा कि आप कहते हैं कि उन्होंने
झूठे हलफनामे दाखिल किए। जब आपको पता है कि उन्होंने झूठे हलफनामे दाखिल
किए, तो आपने उन्हें क्यों मंजूरी दी

शीर्ष अदालत ने इस बात पर खेद जताया कि सरकार ने इन संस्थानों के पास बुनियादी ढांचे तक को देखना जरूरी नहीं समझा और मंजूरी दे दी।

पीठ ने न्यायमूर्ति रवींद्रन की अध्यक्षता वाली नियमित पीठ के एक
मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में 465 कॉलेजों में से 95
प्रतिशत में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की कमी है।

पीठ ने महाराष्ट्र के कुछ निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों के प्रबंधनों की
तरफ से दाखिल आवेदनों पर यह फैसला सुनाया। कॉलेजों ने प्रवेश प्रक्रिया को
मंजूरी करने की मांग की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *