स्वास्थ्य विभाग में फर्जी आंकड़ों का खेल

भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और
नेशनल हेल्थ प्रोग्राम में प्रदेश के पूरे पचास जिलों ने फर्जी आंकड़े पेश
कर वाहवाही लूटी और स्वर्णिम मध्य प्रदेश के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं
की बुनियाद रख दी। बाद में आंकड़े क्रास चेक करने पर विभाग के होश उड़ गए।
अधिकांश आंकड़े फर्जी होने के बाद आनन फानन में सभी जिलों के कार्यक्रम
प्रबंधकों की वेतनवृद्धि रोक दी गई। अब नए फार्मेट में आंकड़े भरे जा रहे
हैं।

स्वास्थ्य के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत जिलों में बेहतर कार्य के
दावे लंबे समय से किए जाते रहे हैं। इनके जो आंकड़े आए वे विभाग को
उत्साहित करने वाले थे। सूत्रों का कहना है कि बाद में आंकड़ों को योजना के
हिसाब से टेली किया गया। तो पता चला कि पूरा मामला फर्जी है। यदि 19 लाख
गर्भवती माताओं की प्रसव पूर्व देखभाल की गई तो प्रसव 14 लाख बताए गए ।
सवाल यह है कि प्रसव काल के अंतिम चरण में कोई गर्भपात का जोखिम भी नहीं
उठाता। ऐसी हालत में इतना बड़ा हेरफेर कैसे हो गया। इसी तरह से एक और
उदाहरण सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि अधिकांश जिलों में पुरुष और
कन्या शिशु का अनुपात राउंड फीगर में जारी कर दिया गया। सूत्रों का कहना
है कि यह सब हुआ इसलिए कि कार्यक्रमों का आपस में तालमेल नहीं था और
प्रोग्राम आफीसर ने अपने रजिस्टर में लिखे गए आंकड़े जारी कर दिए। मामले की
कलई खुलने पर बात विभाग के सचिव व आयुक्त तक पहुंची और जांच के आदेश दिए
गए। बाद में सभी जिलों के परियोजना अधिकारियों की वेतनवृद्धि रोक दी गई।
इसके आदेश विगत एक मई को जारी हो चुके हैं। इसके अलावा अधिकारियों को
नसीहत दी गई है कि वे 2008 व 2009 के लिए योजनाओं के क्रम से आंकड़े
प्रस्तुत करें। सूत्रों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि प्रदेश में
किसी विभाग के सभी जिला परियोजना अधिकारियों की वेतनवृद्धि रोकी गई है। एक
ओर विभाग इस पूरे मामले में अधिकारियों का बचाव कर रहा है, तो दूसरी और
उन्हें दंड भी दिया जा रहा है। यदि कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं तो सजा किस बात की
दी जा रही है।

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आंकड़ों का प्रस्तुतिकरण ठीक न होने के कारण वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी किए हैं।

राकेश मुंशी, संयुक्त संचालक

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बच गए एनआरएचएम के तेरह करोड़

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत विगत वर्ष केन्द्र सरकार ने
राज्य को 866 करोड़ रुपए प्रदान किए थे। जिसमें से तेरह करोड़ रुपए बच गए।
अब केन्द्र ने इस वर्ष के लिए 1002 करोड़ का नया आवंटन जारी कर दिया है।
जिलों की स्थिति यह है कि उनका पूरा जोर जननी सुरक्षा योजना पर है। जबकि
क्षय, कुष्ठ व मलेरिया नियंत्रण की दिशा में प्रयास बहुत कम किए गए।

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