पशुपालन विभाग में डाक्टरों का टोटा

बदायूं। पशुपालन विभाग में कर्मचारियों का
टोटा पड़ गया है। चिकित्सकों के 30 पदों में से 11 पद रिक्त हैं और 50
पशुधन प्रसार अधिकारियों में से सिर्फ 13 ही कार्यरत हैं। डाक्टर और स्टाफ
के कमी के कारण विभाग की व्यवस्थाएं चरमरा गई है। मुठं्ठी भर कर्मचारी
जिले के लगभग दस लाख पशुओं के स्वास्थ्य सम्बंधित जिम्मेदारियों को नही
उठा पा रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का मुख्य कार्य कृषि और
पशुपालन है। पशुपालन कर भारी मात्रा में दूध का व्यापार होता है। किसानों
और पशु पालकों को पशुओं की स्वास्थ्य सम्बंधित देख भाल करने के लिए पशु
पालन विभाग में डाक्टरों को टोटा पड़ा है। पिछले कई वर्षों से जिले में
डाक्टरों, पशुधन प्रसार अधिकारी, फार्मेसिष्ट के पद रिक्त पड़े हैं। इन
पदों पर नियुक्तियां नही की जा रही हैं। जिले में पशु चिकित्सकों के 30 पद
सृजित हैं। जिसमें 19 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। चिकित्सकों के 11 पद रिक्त
पडे़ हैं। पशुधन प्रसार अधिकारी के 50 पद सृजित हैं जिसमें सिर्फ 13 पदों
पर ही पशुधन प्रसार अधिकारी कार्यरत हैं शेष 37 पद रिक्त हैं। फार्मेसिस्ट
के 30 पदों में से 10 पद रिक्त पड़े हैं। जिले भर में लगभग दस लाख पशुओं की
स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के निदान की जिम्मेदारी पशु पालन विभाग की
छोटी सी फौज नही उठा पा रही है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एके भारद्वाज ने बताया कि स्टाफ की कमी
से बहुत असुविधा होती है। कार्य समय से पूरा नही हो पाते एक डाक्टर के
सहारे दो-दो तीन-तीन पशु चिकित्सालय चल रहे। पर्याप्त स्टाफ न होने से
व्यवस्था को बनाना पड़ता है। रिक्तियों पर नियुक्ति शासन स्तर से होती है।

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