नई
दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आसमान छूते खाद्य उत्पादों के दामों को जमीन पर
लाने के लिए आपको यह दुआ करनी होगी कि इस बार मानसून समय पर आए और झमाझम
बरसे। यह बात हम नहीं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कह रहे हैं। महंगाई को
लेकर विपक्षी दलों की तरफ से लगातार आरोप झेल रहे वित्त मंत्री ने इस पर
चिंता जताई और मानसून के ठीक रहने की ‘शर्त’ पर इसे काबू में करने का
भरोसा भी दिलाया। मुखर्जी के मुताबिक जिस तरह से केंद्र सरकार ने आर्थिक
मंदी से बचने के सफल उपाय किए थे, उसी तरह से महंगाई से भी निजात पा लिया
जाएगा।
वित्त मंत्री बुधवार को यहां प्रमुख उद्योग चैंबर सीआईआई के सालाना
समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले छह माह के
दौरान औद्योगिक क्षेत्र की प्रगति के कारण बीते वित्त वर्ष 2009-10 में
आर्थिक विकास की दर 8.5 फीसदी रही है। पिछले वर्ष के कम मानसून को देखते
हुए इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष
2010-11 के दौरान भी काफी अच्छी विकास दर रहने की उम्मीद है। मुखर्जी ने
कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष [आईएमएफ] ने वर्ष 2010 में 8.8 फीसदी और
वर्ष 2011 में 8.4 फीसदी की वृद्धि दर होने की बात कही है। लेकिन मुझे
उम्मीद है कि असलियत में अर्थव्यवस्था की स्थिति इससे भी अच्छी होगी।’
वित्त मंत्री के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के बजट में केंद्र सरकार ने
समावेशी विकास [इन्क्लूसिव ग्रोथ] पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है, लेकिन यह
काम कारपोरेट क्षेत्र के सहयोग के बिना नहीं हो पाएगा। इस संदर्भ में
उन्होंने उन निजी बैंकों की तारीफ भी कि जिन्होंने माइक्रोफाइनेंस के जरिए
लाखों गरीबों को महाजनों के चंगुल से बचाने में मदद की है। उन्होंने
ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराने का आग्रह
उद्योग जगत से किया और कहा कि यह उद्योगों के हित में ही होगा। यह ग्रामीण
क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन में भी उपयोगी साबित होगा।