न्याय पंचायत स्तर पर कृषि निवेश केंद्र

देहरादून। कैबिनेट ने आज तय किया कि सूबे की
सभी न्याय पंचायतों में कृषि निवेश केंद्रों की स्थापना होगी। इसके लिए
कृषि विभाग का ढांचा भी पुनर्गठित किया गया है।

मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में आज सचिवालय में
कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी
मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल ने दी। मुख्य सचिव ने बताया लिपिकीय त्रुटि की
वजह से इफ्को पर अक्टूबर-03 से मई-05 तक वैट की लायबिलिटी बन रही थी।
कैबिनेट ने आज 1.44 करोड़ की इस लायबिलिटी को खत्म कर दिया है। मुख्य सचिव
ने बताया कि सूबे में सीडी और वीडीयो लाइब्रेरी पर लाइसेंस शुल्क में
बढ़ोतरी की है। अभी तक दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में शुल्क डेढ़ हजार
रुपये था। इसे बढ़ाकर एक हजार आठ सौ कर दिया गया है। इसी तरह दो से पांच
लाख तक की आबादी वाले शहरों में शुल्क तीन से बढ़ाकर छह और पांच लाख से
ऊपर की आबादी वाले शहरों में शुल्क चार से बढ़ाकर आठ हजार कर दिया गया है।
कृषि सचिव रणवीर सिंह ने बताया कि अभी तक कृषि विभाग में तृतीय श्रेणी में
कई पद नाम थे। इनका पुनर्गठन करके अधीनस्थ कृषि सेवा में कुल तीन
श्रेणियों के सहायक कृषि अधिकारी पद नाम दिया गया है। नए ढांचे में कुल
1120 पद रह गए है। 117 पद कम होने से सालाना 1.84 करोड़ की बचत होगी। मुख्य
सचिव ने बताया कि कैबिनेट ने तय किया है कि अब हर न्याय पंचायत स्तर पर एक
कृषि निवेश केंद्र खोलकर विभाग के एक अधिकारी की तैनाती सुनिश्चित की
जाएगी। प्रमुख सचिव एसके मंट्टू ने बताया कि कैबिनेट ने केंद्र पोषित
भू-लेख आधुनिकीकरण को भी मंजूरी दे दी है। साथ ही केंद्र सरकार ने मांग भी
है कि इस योजना के लिए 90:10 के अनुपात में अनुदान दिया जाए। 200 करोड़ की
इस योजना को 2016 तक पूरा किया जाना है।

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