पटना पंचायतवार बीपीएल, अंत्योदय परिवार को
अनाज और एपीएल परिवारों को दिये जानेवाले केरोसिन कूपन के लिए हुए
सर्वेक्षण के आंकड़े विवादित हो गये हैं। जिला आपूर्ति पदाधिकारियों से
विभाग ने बार कोडेड कूपन की छपाई के लिए यह आंकड़ा मांगा था। मालूम हो कि
अब तक ग्रामीण विकास विभाग द्वारा उपलब्ध संख्या के आधार पर ही
बीपीएल,अंत्योदय परिवारों के लिए कूपन की छपाई होती रही है। जिलों से आए
विभागीय आंकड़े और ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़े में भारी अंतर पाए गये
हैं। भागलपुर में ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार परिवारों की संख्या 2 लाख
34 हजार 09 है, जबकि जिला से प्राप्त प्रतिवेदन में यह संख्या दो लाख 43
हजार 530 बतायी गयी है। इसी प्रकार कहीं कम तो कहीं ज्यादा संख्या के कारण
विभाग की उलझन बढ़ गयी है।
इस बीच कोलकाता और लखनऊ के प्रेस में कूपन की छपाई का काम शुरू है।
विभाग ने कूपन की प्राप्ति का विवरण भी जिला आपूर्ति पदाधिकारियों से
मांगा है। बीपीएल योजना के लिए ग्रामीण क्षेत्र में दरभंगा में 3436 लोगों
की संख्या अधिक बतायी गयी है। सहरसा में 51215, सुपौल में केरोसिन कूपन के
लिए 33268, चंपारण में 24586 की संख्या अधिक प्रतिवेदित की गयी है। कई
जिलों में कम संख्या भी आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीण विकास
विभाग की तुलना में बता दी है। बीपीएल योजना के लिए मुजफ्फरपुर, नालंदा,
नवादा, लखीसराय, समस्तीपुर में संख्या कम बतायी गयी है। केरोसिन कूपन के
लिए भी भोजपुर,कैमूर,मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा आदि के लिए भी यह संख्या
कम बतायी गयी है। खाद्य आपूर्ति विभाग के विशेष पदाधिकारी संजीव हंस ने
डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों के जिला आपूर्ति पदाधिकारियों से इस बाबत
स्पष्टीकरण मांगा है। यह पूछा गया है कि यह अंतर क्यों है और कैसे आया है
तथा इसके लिए कौन कर्मचारी,पदाधिकारी जिम्मेदार हैं।