गांव की समृद्धि के लिए वृद्धा की बलि

लातेहार। दुनिया भले ही चांद पर जा रही हो,
मंगल पर लोगों को बसाने का सपना देखा जा रहो हो, लेकिन धरती के कुछ ऐसे
इलाके हैं, जहां धर्म के नाम पर हैवानियत हावी है। जी हां, यह अविश्वसनीय,
लेकिन सच है। सदर प्रखंड के खैराखास गांव में सुख-समृद्धि के लिए बैगा
पाहनों ने 65 वर्षीया वृद्धा बूदनी मसोमात की बलि दे दी। घटना बीते आठ
अप्रैल की है, लेकिन इसका खुलासा बारह दिन बाद बुधवार को ओरेया गांव के
बैगा पाहन भुनेश्वर सिंह ने की।

घटना के बाबत बूदनी का बेटा कुन्दन उरांव ने बताया कि आठ अप्रैल को
मेरी मां अपने मायके लाई गांव सरहुल के अवसर पर जा रही थी। जब वह अपने
मायके नहीं पहुंची तो गांव के एक व्यक्ति बलराम मिस्त्री, जो मां के साथ
गया था, उस पर शक हुआ। ग्रामीणों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पहले
ओरेया गांव के कुछ बच्चों को उठाकर खैराखास गांव ले आए व यह कह दिया कि जब
तक चिह्नित व्यक्ति खैरा गांव नहीं पहुंचेंगे, बच्चों को मुक्त नहीं किया
जाएगा। आखिरकार भुनेश्वर सिंह के अलावा बलराम मिस्त्री, बसुवा उरांव, करम
सिंह ओरेया पहुंचे और अपनी संलिप्तता स्वीकार की। उन लोगों की निशानदेही
पर ओरेया जंगल से कपड़े चूड़ी, झूला, बाल और गर्दन में पहने गहने बरामद
किए। बताया जाता है कि ओरेया में गांव के भुनेश्वर बैगा अपने कुछ
सहयोगियों के साथ ओरेया जंगल के पंचफुटा में ले जाकर बूदनी बलि चढ़ा दी।
ग्रामीणों के हत्थे चढ़े बैगा ने भी सहजता से बलि की बात कबूल कर ली है।
उसने इस बात का भी खुलासा किया है कि हमारे पिताजी गुपचंद सिंह के समय से
ही नरबलि की प्रथा शुरू है और हर साल गांव में नरबलि दी जाती है। इतना
सुनते ही ग्रामीण उद्वेलित हो गए व चारों दोषियों को पकड़कर रस्सी से हाथ
बांध दिया व जमकर पिटाई की। हालांकि, शुरू में इस मामले को गांव में अपने
स्तर से निपटाने की कोशिश की गई, लेकिन भनक मिलने के बाद लातेहार सदर थाना
पुलिस वहां पहुंच गई व आरोपी भुनेश्वर सिंह, बसुआ उरांव व बलराम मिस्त्री
को गिरफ्तार कर लिया। ग्रामीण बताते हैं कि इसके पूर्व भी आसपास के दो-तीन
ग्रामीण लापता हैं, जिनका आज तक कोई पता नहीं चल सका है।

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